दो दशक में आधे हुए बाजार, घटा व्यापार
सिद्धार्थनगर : बीते दो दशक में पशुओं की खरीद-फरोख्त का कारोबार तेजी से घटा है। कांजी हाउस व बाजार लग
सिद्धार्थनगर : बीते दो दशक में पशुओं की खरीद-फरोख्त का कारोबार तेजी से घटा है। कांजी हाउस व बाजार लगातार बंद हो रहे हैं। बिक्री भी प्रभावित हो रही है। ऐसे में सरकार द्वारा पशुओं की खरीद बिक्री प्रतिबंधित किए जाने से जहां पशुपालन का अर्थशास्त्र प्रभावित होने की आशंका है, वहीं सड़कों पर आवारा आतंक भी बढ़ जाएगा।
आज से बीस वर्ष पूर्व जनपद के 40 पशु बाजारों में हर महीने करीब-करीब दस हजार पशुओं की खरीद-बिक्री का काम होता था। यदि कोई पशु किसी की फसल को हानि पहुंचाए तो उसके लिए कांजी हाउस बनाए गए थे। वहां जुर्माना अदा करने के बाद ही पशु को छोड़ा जाता था। लेकिन समय ने करवट बदली तो कांजी हाउस पूरी तरह बंद हो गए। पशु बाजार भी टूट कर आधे ही बचे हैं। अब महज 14 पंजीकृत पशु बाजार जिले में मौजूद हैं। खरीद-फरोख्त की संख्या में भी तेज गिरावट दर्ज की गई है। अब हर माह केवल 1500-2000 पशुओं की ही बिक्री होती है। पशु वध पर प्रतिबंध लगने से हो सकता है कि आने वाले समय में जो दर्जन भर पशु बाजार जिले में बचे हुए हैं, वह भी दम तोड़ दें। इसके दूसरे पहलू को यदि देखा जाए तो अनुपयोगी पशुओं को जिलाधिकारी की संस्तुति से गोशालाओं में भेजने की जहमत शायद ही कोई पशुपालक मोल लेना चाहेगा। इससे बेहतर तो यह होगा कि वह उनको छुट्टा ही छोड़ दें। इससे जहां गंवई क्षेत्रों में किसानों की फसल चौपट होगी, वहीं शहरी क्षेत्रों में सड़कों पर उनकी धमाचौकड़ी आए दिन दुर्घटना का सबब बनेगी।