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फ्रांस के अल्बर्ट को सताने लगी वतन की याद

महराजगंज: अपने वतन की मिट्टी सभी को प्यारी होती है। सभी अपनी मिट्टी व अपनों के बीच रह कर ही अपना

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 May 2017 11:32 PM (IST)Updated: Sat, 13 May 2017 11:32 PM (IST)
फ्रांस के अल्बर्ट को सताने लगी वतन की याद
फ्रांस के अल्बर्ट को सताने लगी वतन की याद

महराजगंज:

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अपने वतन की मिट्टी सभी को प्यारी होती है। सभी अपनी मिट्टी व अपनों के बीच रह कर ही अपना अच्छा व खराब समय गुजारना चाहते हैं। जिला जेल में एनडीपीएस एक्ट में सजा काट रहे फ्रांस के रहने वाले बंदी अल्बर्ट पास्को चाइने को भी अब अपने वतन की याद सताने लगी है। दस साल की सजा होने के बाद उसने लगभग 31 माह का समय जेल में काट लिया है, लेकिन बाकी की सजा फ्रांस में काटने के लिए उसने जेल प्रशासन व उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई है। फ्रांस का रहने वाला अल्बर्ट पास्केल चाइने को सितंबर 2014 में सोनोली में तीन किलो ग्राम चरस के साथ गिरफ्तार किया गया था। न्यायालय ने उसे दस साल की सजा सुनाते हुए 28 सितंबर 2014 को जेल भेज दिया। अल्बर्ट तभी से जेल में सजा काटने लगा। जेल की तन्हाई के बीच उसे अपने वतन तथा अपनों से दूर होने का एहसास प्रतिदिन होता रहा। दस साल में से पहाड़ जैसे 31 माह की सजा काटने के बाद जब उसका मन नहीं माना तो उसने बाकी की सजा फ्रांस में काटने के लिए जेल अधीक्षक से गुहार लगाई। जेल अधीक्षक ने उसकी गुहार को गंभीरता से लेते हुए डीएम को भी पत्र भेज दिया है, ताकि वे अपने स्तर से भी उस पर आवश्यक कार्यवाही करें। उसके वतन जाने का मार्ग तभी प्रशस्त होगा जब उसके गुहार पर गृह मंत्रालय व केंद्र सरकार की अंतिम मुहर लगेगी।

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गुहार को गृह मंत्रालय तक पहुंचाने के लिए उठाने होंगे कदम:

अल्बर्ट के गुहार तभी सफल होगी जब उस पर गृह मंत्रालय व केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृति की मुहर लगेगी। डीएम के स्तर से उसकी गुहार आइजी जेल के पास भेजी जाएगी। आइजी जेल उसे प्रदेश सरकार के माध्यम से गृह मंत्रालय में तैनात ज्वाइंट सेक्रेटरी के पास भेजेंगे। गृह मंत्रालय द्वारा केंद्र सरकार से विचार-विमर्श के बाद ही उसकी गुहार पर निर्णय लिया जाएगा। विदेशी बंदी होने की वजह से प्रक्रिया राष्ट्रीय व अंतरराष्?ट्रीय स्तर से जुड़ेगी।

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जेल में माचिस से ताजमहल बना चर्चा में आया था अल्बर्ट

फ्रांस निवासी बंदी अल्बर्ट भले ही एनडीपीएस एक्ट में जेल में बंद है। वह दिसबंर 2015 में अपने बैरक में बंद ठूठीबारी के दो बंदियों के साथ पत्नी की याद में माचिस की तिल्ली से ताजमहल बनाकर चर्चा में आया था। ताजमहल बना उसने न सिर्फ अपने हाथ की कला का बेहतर नमूना प्रदर्शित किया, बल्कि सभी बंदियों व जेल के अधिकारियों ने ने उसकी इस कला को सराहा भी।

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अल्बर्ट के गुहार से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया- जेल अधीक्षक

जिला जेल के अधीक्षक अनिल कुमार राय ने कहा कि अल्बर्ट ने गुहार लगाई है। जिसे डीएम सहित विभागीय उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। विदेशी बंदी होने के नाते प्रक्रिया लंबी है। निर्णय उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा किया जाना है।


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