दो दर्जन आंगनबाड़ी केंद्र अधूरे
सिद्धार्थनगर : आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद का भवन नसीब कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जगह-जगह इसके भ
सिद्धार्थनगर : आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद का भवन नसीब कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जगह-जगह इसके भवन का निर्माण कराने का निर्णय लिया। मगर कार्यदायी संस्था की लापरवाही व ठेकेदार की मनमानी के चलते क्षेत्र में लगभग दो दर्जन केंद्र भवन अधूरे हैं। करोड़ों खर्च के बाद भी नतीजा सिफर है। मजबूरी में दर्जनों केंद्रों को प्राथमिक विद्यालयों अथवा व निजी मकानों में चलाया जा रहा है। अब प्रदेश में नई सरकार है, ऐसे में एक उम्मीद बन गई है कि शायद अब इन केंद्रों के दिन भी बदल जाएंगे।
क्षेत्र के भड़रिया, सुखई ताज, बिथरिया, बायताल, भवानीगंज-भिटौरा, जंगलीपुर, दतरंगवा, रंगरेजपुर, बनगवां नानकार, मझारी, पुरैना, भानपुर रानी आदि गांवों में करीब दो लाख नब्बे हजार की लागत से प्रति आंगनबाड़ी केंद्र भवन का निर्माण प्रारंभ हुआ। कोई भवन दो वर्ष तो कुछ तीन-चार वर्ष पूर्ण होने के बाद भी अधूरा है। चूंकि कार्यदायी संस्था लखनऊ से ही जुगाड़ फिट कर भवन निर्माण कार्य ले आई, इसलिए संबंधित विभाग का उस पर अंकुश भी नहीं रहा। उपेक्षा का आलम यह है कि बहुत सारे केंद्र बिना हैंडओवर हुए जर्जर भी होने लगे हैं। भवानीगंज कस्बे के भिटौरा सरहद पर बिना छत लदे भवन की स्थिति खस्ता होती जा रही है। अहिराडीहा के दतरंगवा गांव में बने केंद्र भवन को भी छत लदने का इंतजार है, अधूरा भवन कबाड़ रखने के काम आ रहा है। रठैना गांव के गौहनिया ताज में अर्ध निर्मित इमारत पर सिर्फ टीन शेड रखा हुआ है। भानपुर रानी में जानवर बांधा जा रहा है तो पुरैना में अधूरा भवन दयनीय अवस्था में पहुंच रहा है। हैरानी की बात यह है कि इन सरकारी भवन के निर्माण अपूर्ण रहने व इसके गलत उपयोग के प्रति जिम्मेदार आंख मूंदे हैं। स्थिति देख यही प्रतीत होता है कि सरकार की मंशा तार-तार हो रही है और करोड़ों रुपये बेकार में खर्च हो गए।
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क्षेत्र में कुछ स्थानों पर आंगनबाड़ी केंद्र के भवन अधूरे हैं। सर्वे कराया गया है, शीघ्र ही इसकी सूची कार्यदायी संस्था को भेज कर कार्य पूर्ण करने के लिए लिखा जाएगा, यदि लापरवाही जारी रही तो फिर कार्रवाई हेतु संस्तुति की जाएगी।
रवीन्द्र यादव,
सीडीपीओ - डुमरियागंज