संस्कार ही हमारा आभूषण : महामंडलेश्वर
सिद्धार्थनगर : संस्कार ही मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण होता है। इससे बढ़कर दूसरी कोई पूंजी भी नहीं होती।
सिद्धार्थनगर : संस्कार ही मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण होता है। इससे बढ़कर दूसरी कोई पूंजी भी नहीं होती। गर्भ में ही हमें संस्कार मिलने शुरू हो जाते हैं। इसलिए माताएं जो कि श्रृष्टि की वाहक हैं, उनको गर्भावस्था के दौरान अपने आहार-विहार पर संयम रखते हुए अच्छे साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। इससे निश्चित ही उनसे उत्पन्न होने वाली संतान उनके अनुरूप ही आचरण करेगी। वह जैसा चाहेंगी, संतान उसी अनुरूप अपने को ढाल लेगी।
उक्त बातें कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी डा. उमाकांतानंद सरस्वती ने कही। वह गुरुवार को नगर स्थित सब्जी मंडी परिसर में रामकथा का संगीतमय प्रवचन कर रहे थे। कहा कि नामकरण का भी बच्चों पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें अपने बच्चों का नामकरण काफी सोच-समझ कर ही करना चाहिए। प्रयास रहे कि हम अपने बच्चों का नाम ईश्वर के नाम से जोड़कर ही करें। इससे पूर्व आज के प्रसंग में राम विवाह कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न हुआ। राम-सीता की मनोहारी झांकी पूरे नगर में घूमी। कथा स्थल से निकलकर यह झांकी स्टेशन रोड, सिद्धार्थ तिराहा होते हुए हनुमानगढ़ी मंदिर पहुंची। वहां से फिर वापस कथा स्थल पहुंची। राम विवाह के दौरान मौजूद महिलाओं ने खूब मंगलगान किया और इस मनमोहक जोड़ी की आरती उतारने के साथ ही परछावन की रश्म भी पूरी की। पूरा पांडाल जय श्रीराम के नारों से गूंजता रहा। शशि श्रीवास्तव, राधिका गुप्ता, साधना श्रीवास्तव, सुमित्रा, सीमा गुप्ता, रीना कसौधन, पूजा गुप्ता, मीरा ¨सह, नीला ¨सह, नेहा ओझा, अंजली यादव, आदर्श ओझा, पुष्पा देवी, प्रतिमा जायसवाल, डा. दीनानाथ शुक्ल, सुरेंद्र मिश्र, अखंड प्रताप ¨सह, मुन्ना जायसवाल, फतेहबहादुर ¨सह, आशुतोष ¨सह, विनीत श्रीनेत, महादेव प्रसाद, गणेश मद्धेशिया, दुर्गेश मद्धेशिया, रविशंकर शुक्ल, सुमित श्रीवास्तव सहित तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे।