रोडवेज बसों से सफर ना बाबा ना
सिद्धार्थनगर : परिवहन निगम की बसों पर आरटीओ का कानून कारगर नहीं। खटारा हो चुकी बसों को सिद्धार्थनगर
सिद्धार्थनगर : परिवहन निगम की बसों पर आरटीओ का कानून कारगर नहीं। खटारा हो चुकी बसों को सिद्धार्थनगर डिपो में तैनात फोरमैन जुगाड़ पर चला रहा है। इससे एक तरफ यात्रियों की जान जहां जोखिम में है, वहीं चालक भी जगह-जगह धक्का लगाने से परेशान हैं। अधिकांश वाहन तो ऐसे हैं जो अपनी किलों मीटर सीमा पूरी कर चुके हैं पर उन्हें भी सवारियों को ढोने के लिए विभाग ने लगा रखा है। नतीजतन रास्ते में चलते चलते इनका अक्सर बंद हो जाना आम बात हो गई है।
नगर में स्थापित परिवहन निगम के बस स्टैंड से प्रति दिन विभिन्न जगहों के लिए 35 बसों का संचालन किया जाता है। इसमें से 10 बसें बस्ती, गोरखपुर, लखनऊ व प्रतापगढ़ डिपो की होती हैं। शेष सभी सिद्धार्थनगर की बसें यहां से जाती है। इनमें बस्ती डिपो की तीन-चार व सिद्धार्थनगर की एक दर्जन बसों की स्थित काफी बदतर है। सवारियां लेकर जाने वाली यह बसें आये दिन रास्ते में जब बुझजाती हैं तो बस में बैठे यात्रियों को धक्का लगाने के लिए विवश होना पड़ता है। शनिवार की सुबह रोडवेज परिसर से गोरखपुर के लिए प्रस्थान करने वाली सिद्धार्थनगर की बस संख्या यूपी 53 टी 3423 को तो यात्री आधे घंटे तक धक्का लगाते रहे पर वह स्टार्ट नहीं हो सकी। हार थक के चालक ने एक बस से जब धक्का लगवाया तो वह चालू हुई । चालक का कहना था कि इसका सेल्फ काम नहीं कर रहा है बिना ठीक कराए गोरखपुर ले जाने का मतलब जगह जगह धक्का लगवाना पडे़गा। यात्री राम नक्षत्र, विनोद कुमार गुप्ता, धर्मराज पांडेय, विवेक शर्मा आदि का कहना है कि विभाग बसों की नियमित चे¨कग नहीं करवाता जिसके कारण हम यात्रियों को असुविधा होती है।
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बसों की नियमित चे¨कग होती है। लांग रूट की बसें जब माइलेज पूरा कर लेती हैं तो उन्हीं को लोकल रूटों पर लगाया जाता है। कभी कभी ही ऐसी समस्या होती की बस में धक्का लगाना पड़ता है।
दयाराम
स्टेशन इंचार्ज, रोडवेज, बांसी