उपेक्षा से आहत गांव के बा¨शदे
सिद्धार्थनगर : सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही जगहों पर नहीं पह
सिद्धार्थनगर :
सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही जगहों पर नहीं पहुंच रहा है। पेयजल, साफ सफाई समेत बुनियादी सुविधाओं का गांव में अकाल सा पड़ा है। पेंशन योजना पात्रों की पहुंच से कोसों दूर हैं, बावजूद ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
खुनियांव विकास खंड के अधिकांश गांवों में गंदगी व शुद्ध पेयजल की समस्या से निपटने के इंतजाम नाकाफी हैं, तो वहीं पात्र सरकारी योजनाओं के लाभ से कोसों दूर हैं। लटेरा में सड़क के बीचो बीच गंदा पानी पसरा रहने से लोगों को नारकीय जीवन जीने की मजबूरी है। ग्रामवासी नोहर का कहना है कि गांव में नालियां गंदगी से बजबजा रही हैं। साल भर से सफाईकर्मी के दर्शन नहीं हुए। दुर्योधन का कहना है कि विभागीय लापरवाही के चलते स्वयं नाली साफ करना पड़ रहा है। हर्रैया निवासी बेचन का कहना है कि गांव में लगे सरकारी नल बदहाल हैं। मरम्मत के अभाव में लोगों को छोटे नल का दूषित पानी पीने की मजबूरी है। लटेरा की अकालमती (65) का कहना है कि खेती के नाम पर एक बीघा जमीन नहीं है। कई बार प्रधान से लेकर ब्लाक का चक्कर काटा, मगर निराशा ही हाथ लगी। ग्याना देवी (80) ने बताया कि उम्र के आखिरी पड़ाव में गरीबी बोझ बन गई है। कोई आमदनी का जरिया न होने से जीवन बिताने में काफी कष्ट उठाना पड़ रहा है। यदि सरकारी पेंशन मिलता तो कुछ संतोष मिलता। धौरहरा, कलेनिया, नवेल, रमवापुर सीर, करहिया गोसाई, गुलरिहा, कपियवा आदि गांव ऐसे हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं की कौन कहे, सरकारी योजनाओं का जमकर मजाक उड़ रहा है।
...
गांवों में सफाई की स्थिति खराब होने पर संबंधित सफाईकर्मी के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। पात्रों को उनका हक मिले इसके लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
संजय कुमार नायक
बीडीओ, खुनियांव