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संस्कार सबसे बड़ा धन: आलोकानंद

सिद्धार्थनगर : नगर पंचायत के शाहपुर में गुरूवार की रात से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आरंभ हुआ।

By Edited By: Published: Fri, 17 Feb 2017 10:18 PM (IST)Updated: Fri, 17 Feb 2017 10:18 PM (IST)
संस्कार सबसे बड़ा धन: आलोकानंद
संस्कार सबसे बड़ा धन: आलोकानंद

सिद्धार्थनगर : नगर पंचायत के शाहपुर में गुरूवार की रात से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आरंभ हुआ। इस अवसर पर वृंदावन से पधारे पंडित आलोकानंद ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि संस्कार ही महत्वपुर्ण धन होता है। जीवन में वास्तविक सुख के लिए अभिभावक बच्चों को संस्कार दें तभी इसी भौतिक युग में वास्तविक सुख की कल्पना की जा सकती है।

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महात्म का वर्णन करते हुए कहा कि आत्मदेव संतान के लिए दुखी थे, अंत में निराश होकर वन को गये। जहां से उन्हें संत के माध्यम से फल मिला और उन्होंने उसे लाकर पत्नी को दिया परंतु उन्होंने उसे नही चखा, अपितु गाय को खिला दिया। परिणामस्वरूप गो माता से एक दिव्य बालक का जन्म हुआ। पर आत्मदेव की पत्नी ने अपनी बहन से धन देकर पुत्र ले लिया। गोकरण संत फल के द्वारा संस्कारी हुए ,जबकि गोद लिया पुत्र गलत संगत के कारण कुसंस्कारी हुआ। जिसके फलस्वरूप पिता को कष्ट और माता को मृत्यु मिली। बाद में वेश्याओं ने धन के लोभ में

उसे मार डाला। कुछ समय बाद गोकरण ने मृत्यु धुंधकारी की मुक्ति के लिए भागवत का श्रवण कराया। कथा का भाव समझाते हुए कथा वाचक ने बताया अगर बच्चों में अच्छे गुण नहीं डाले गये तो आने वाली पीढ़ी धुंधकारी के समान व्यवहार करेगी। जिससे न केवल दूसरे दुखी होंगे स्वयं को भी दुख होगा। इस अवसर पर राम पाल यादव, शिव राम यादव,भोला यादव, राधेश्याम पाण्डेय, राहुल मिश्रा, श्याम करण यादव ,सुनीता यादव, कल्पना यादव, रागिनी ¨सह आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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