शुद्ध पेयजल की आस बेमानी
सिद्धार्थनगर : गर्मी की तपिश शुरू होने से पूर्व ही प्रशासन ने खराब पडे़ हैंडपंपों को ठीक कराने का दा
सिद्धार्थनगर : गर्मी की तपिश शुरू होने से पूर्व ही प्रशासन ने खराब पडे़ हैंडपंपों को ठीक कराने का दावा किया तो पर वह अभी तक ठीक नहीं हो सके। ग्रामीण क्षेत्रों में खराब पड़े हैंडपंपों से पेय जल का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। जल निगम की लापरवाही को कोसते लोग शुद्ध जल के लिए भटक रहे हैं।
तहसील क्षेत्र में कुल चार सौ से अधिक इंडिया मार्का हैंडपंप लगे हुए है। वर्तमान समय में तीन दर्जन से अधिक हैंडपंप अभी भी खराब पड़े है। जो चल रहे है उनमें से अधिकांश दूषित जल ही दे रहे हैं। कुछ हैंडपंपों को तो रीबोर करने जरूरत है। जल निगम खराब पड़े हैंडपंपों का लेखा जोखा गर्मी शुरु होते तैयार तो किया पर मरम्मत व रिबोर, गर्मी समाप्त हो गई और नहीं हो सका। सबसे बदतर स्थिति तो दोआबा क्षेत्र में लगे हैंडपंपों की है। क्षेत्र के दो दर्जन गांव ऐसे है जहां लोग नलों से निकलने वाले दूषित जल का सेवन करने से बीमार पड़ रहे हैं। गर्मी आते ही यह समस्या और भी विकराल हो जाती है। प्यास बुझाने के लिए बूढ़े बच्चे व जवान सभी मजबूरन नलों से निकलने वाले जहर को पीते है। हाटा, पकडीहा, फूलपुर, मुडिला आदि गावों में लगे इंडिया मार्का हैंडपंप तो विगत दो वर्षों से खराब पडे़ हैं। खेसरहा विकास खंड में लगे एक दर्जन इंडिया मार्का हैंडपंप जमीदोज हो चुके है। मिठवल विकास खंड के ग्राम पंचायत पथरा बाजार, सेहरी सेवक, तिघराघाट, आमामाफी आदी में लगे हैंडपंप भी खराब हैं। एक आधे जो चल रहे हैं वह सिर्फ दूषित जल ही दे रहे हैं। सूत्र बताते हैं की मरम्मत के लिए ब्लाकवार जो धन मिला वह बंदरबाट कर लिया गया। सत्यता पर गौर करें तो हर वर्ष मरम्मत के नाम लाखों हजम हो जाते हैं, और ग्रामीण क्षेत्र के लोग पानी की आस ही लगाए रहते हैं।
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'' ग्राम पंचायत में लगे इंडिया मार्का हैंड पंपों की मरम्मत वैसे तो प्रधान कराते हैं रही बात रिबोर होने की तो उसके लिए जल निगम को लिखा जाता है। तहसील क्षेत्र में जो भी नल रीबोर होने वाली स्थिति में हैं मैं उनकी सूची मंगवाकर उसे ठीक कराने की कोशिश अवश्य करूंगा। ''
महेन्द्र कुमार
उपजिलाधिकारी, बांसी