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यहां पर नेपाली नागरिक भी करते हैं मनमानी

सिद्धार्थनगर : दुनिया का छोटा सा मुल्क नेपाल बड़ा संदेश दे रहा है। वहां कोई बिना हेलमेट बाइक नहीं चला

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 10:28 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 10:28 PM (IST)
यहां पर नेपाली नागरिक भी करते हैं मनमानी

सिद्धार्थनगर : दुनिया का छोटा सा मुल्क नेपाल बड़ा संदेश दे रहा है। वहां कोई बिना हेलमेट बाइक नहीं चलाता। किशोर वाहन चलाते नहीं दिखते। चौपहिया चालक सीट बेल्ट का ध्यान रखते हैं। नियम यहां भी वही हैं, पर जिम्मेदारों को इसकी ¨चता नहीं है। उनका सारा जोर वसूली पर है। परिणाम यह है कि शमन शुल्क वसूली के साथ बाइक पर तीन सवार, बिना हेलमेट के चालक, बिना सीट बेल्ट के चालकों की संख्या भी बढ़ रही है। इस मनमानी में मृतकों की कतार बढ़ती जा रही है और जिम्मेदार खामोश हैं। रुपये तो आ रहे हैं न।

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मित्र राष्ट्र नेपाल यहां से गज भर की दूरी पर है, पर सरहद के इस पार और उस पार में जमीन आसमान का अंतर है। वहां यातायात नियमों की कदर धर्म से बढ़कर है।यहां तोड़ना स्टेटस सिम्बल। उसकी हद में पहुंचने से पूर्व ही लोग हेलमेट का जुगाड़ करने लगते हैं और यहां नेपाली भी हेलमेट छोड़कर आते हैं। यह अंतर दोनों के तौर तरीकों का है। वाहन चालकों की लापरवाही का आलम यह है कि प्रति वर्ष 100 ¨जदगियां उनकी मनमानी की भेंट चढ़ रही हैं और उन्हें ¨चता है कि इस बार मोटर साइकिल पर उनका कट फिट नहीं बैठा। सड़क पर ट्रक चालक उनकी कार से आगे कैसे निकला। इस होड़ में मृतकों की कतार कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाए, पर उप संभागीय परिवहन विभाग को ¨चता नहीं है। पुलिस मानती है कि प्रतिवर्ष उसका शमन शुल्क वसूली का ग्राफ बढ़ रहा है तो सड़क पर सब कुछ ठीक है। वर्ष 2012 यातायात माह में साढ़े चार लाख के शमन शुल्क की वसूली हुई। 2013 यातायात माह में 12.41 लाख के शमन शुल्क की वसूली हुई। वर्ष 2015 में 19.36 लाख का शमन शुल्क आया। वर्ष 2016 में नोटबंदी की समस्या रही, बावजूद इसके 1551950 रुपये का समन शुल्क जमा हुआ। स्पष्ट है कि इस शुल्क के साथ नियम तोड़ने वालों की रिकार्डेड संख्या भी बढ़ रही है। ट्रैफिक सिपाहियों का कुनबा गत वर्ष से बढ़ने की बजाय घटा है। नोटबंदी से थाना पुलिस पर बड़ी जिम्मेदारी थी। कुछ समय बैंक की निगरानी में गया तो कुछ वाहन चे¨कग में। बावजूद इसके पुलिस ने साढ़ पन्द्रह लाख से अधिक का शमन शुल्क दिया। स्पष्ट है कि वाहन चालकों को न तो पुलिस का भय है और न ही उपसंभागीय परिवहन विभाग का। वह सड़कों पर बेखौफ वाहन 100 की स्पीड से दौड़ा रहे हैं। नो इंट्री में ट्रक व बसों की धमा चौकड़ी है।

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मौत की कहानी, आंकड़ों की जुबानी

2013- यातायात पुलिस के मुताबिक इस वर्ष 125 वाहन दुर्घटनाएं हुईं। इसमें 80 व्यक्तियों की मौत हो गई। 92 व्यक्ति घायल हो गए।

2014- 112 वाहन दुर्घटनाएं हुईं। इसमें 74 व्यक्तियों की मौत हो गई और 50 घायल हो गए।

2015- 115 वाहन दुर्घटनाएं हुईं। 75 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है, और 81 व्यक्ति घायल हो गए।

2016- 103 वाहन दुर्घटनाएं हुईं। 61 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। 73 व्यक्ति घायल हुए।

जिला अस्पताल व अन्य स्त्रोतों से मिले आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013 में 93 व्यक्तियों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो गई। वर्ष 2014 में 102 व्यक्तियों की मौत हो गई और वर्ष 2015 में 102 व्यक्तियों की मौत हुई है। 2016 में अब तक 96 लोगों की मौत हो चुकी है और अभी दिसंबर माह शेष है। स्पष्ट है प्रति वर्ष सड़क हादसे में मृतकों की संख्या बढ़ रही है।

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यातायात माह में कार्रवाई

-सघन अभियान चलाकर पुलिस ने 6180 वाहनों का चालान किया। 172 वाहनों पर रिफलेक्टर लगाया।

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दुर्घटनाओं में घायल

-गत 16 नवंबर को हरिश्चन्द्र मौर्या रात करीब 8 बजे शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम झरुआ के पास वाहन दुर्घटना में घायल हो गए।

-गत 13 नवंबर को मोहाना थाना क्षेत्र के मधुबेनिया के पास ट्रक की चपेट में आने अख्तर गंभीर रूप से घायल हो गए।

यह सिर्फ बानगी मात्र हैं। जिले में हर तीसरे दिन दुर्घटनाओं में किसी की मांग सूनी हो रही है तो किसी के सिर से बाप का साया छिन जा रहा है। कोई अपनी मां के लिए तो कोई बहन के लिए तड़प रहा है। सभी मामलों की ढंग से पड़ताल की जाए तो चूक किसी न किसी स्तर पर रही है। स्पष्ट है कि छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर हादसों को काफी कम किया जा सकता है।

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क्या कहते हैं लोग

वाहन चालक बाइक स्टंट भले अपनी शान समझें, मगर जिले में किसी को भी उनका अंदाज फूटे नहीं भा रहा। एसोसिएट प्रोफेसर डा.धर्मेन्द्र ¨सह कहते हैं कि वाहन चालकों को स्वयं मंथन करना चाहिए कि उनकी लापरवाही की भेंट तमाम लोग चढ़ रहे हैं। वह यातायात नियमों का पालन करें तो खुद भी सुरक्षित रहेंगे और दूसरों को भी राहत मिलेगी। आजाद नगर मुहल्ले के तनवीर खान कहते हैं कि वाहन चलाते समय वह स्वयं यातायात नियमों का पालन करते हैं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। अलका श्रीवास्तव का कहना है कि इसमें जरा सी असावधानी व्यक्ति को कई साल पीछे छोड़ देती है। रीता मद्धेशिया कहते हैं कि सड़क पर चलते समय लोगों को यातायात नियमों का अनुपालन करना चाहिए। जरा सी लापरवाही लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है।

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यह सारे प्रयास सुधार के लिए किए जाते हैं। ताकि स्थिति और बेहतर हो। वाहन चालकों पर पुलिस जुर्माना करती है ताकि वह यातायात नियमों का अनुपालन करें। जनता को भी इसके लिए जागरूक रहना चाहिए। तभी हादसों को रोका जा सकता है और जहां ट्रैफिक सेंस बेहतर होगा, वह निश्चित रूप से एक आदर्श क्षेत्र होगा।

दीप नारायण त्रिपाठी

क्षेत्राधिकारी यातायात

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सभी को यातायात नियमों का पालन करना चाहिए। नियम से चलेंगे तो खुद भी सुरक्षित रहेंगे और दूसरों को भी सुरक्षित रखेंगे। हालांकि इसे लेकर लोगों पर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।

आशुतोष शुक्ल

एआरटीओ


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