ये परेशान उनके चेहरे पर कायम मुस्कान
सिद्धार्थनगर: तकरीबन सभी बैंक कैशलेस हो चुके हैं। जिस भी बैंक का शटर खुला है, वहां लंबी कतारें लगीं
सिद्धार्थनगर: तकरीबन सभी बैंक कैशलेस हो चुके हैं। जिस भी बैंक का शटर खुला है, वहां लंबी कतारें लगीं हैं। उन कतारों में शामिल चेहरे अपनी बारी आने के लिए जार जार हुए जा रहे हैं। हर आम चेहरा परेशान हैं मगर वो चेहरे जो खास ओहदों पर हैं उन पर मुस्कान कायम है। उन्हें देख ऐसा प्रतीत होता है कि नोटबंदी कहीं हुई ही नहीं। यही हाल माननीयों का भी है। आसन्न विधानसभा चुनाव के लिए हर रोज दौड़ लगाने वाले वाहनों के काफिले में एक भी गाड़ी कम नहीं हुई है। यह माजरा क्या है? हर जेहन में यही सवाल कुलबुला रहा है।
अजब नजारा है सड़क और बंगलों के भीतर मौजूद जीवन का। सड़क पर नोटबंदी की बेचैनी पसरी हुई है। तो ऊंची चहारदीवारियों के पार रहने वालों की जीवनशैली वैसे ही है जैसे 8 नवंबर के पूर्व थी। प्रशासनिक गलियारे में इसे लेकर तरह तरह की चर्चाएं तैर रही हैं। कहने वाले तो बहुत सी बातें कर रहे हैं। खास कर वे चेहरे जो साहबों के करीब रहते हैं। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर एक आला अफसर की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कहा कि साहब ने अपने रसूख का ढंग से इस्तेमाल किया है। उन्होंने न केवल बैंक के कुछ खास अफसरों बल्कि चंद प्रमुख व्यापारियों, चु¨नदा पेट्रोल पंप मालिकों से विविध माध्यमों से संपर्क करवा कर अपनी जमा पूंजी को छोटे नोटों में तब्दील करवा लिया। उन्हीं के नक्शेकदम पर कुछ और अफसरों ने भी रिश्तों के सहारे नैय्या पार लगाने की कामयाब कोशिश की है। एक कर्मचारी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उसके साहब ने अपने संपर्कियों का इतना ध्यान रखा है कि पूछिए मत। उन्होंने जमा पूंजी की सुरक्षा के लिए छोटे-बड़े का भेद तक भुला दिया।
वहीं दूसरी ओर माननीयों की लाइफ स्टाइल पर भी कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। हालांकि नोटबंदी के निजी जीवन पर पड़े असर को लेकर उन्होंने बेहद सतर्क जवाब दिए। कपिलवस्तु के विधायक विजय पासवान ने कहा कि हमारे पास हजारों कार्यकर्ता हैं। परिवार में ही डेढ सौ के करीब लोग हैं। लाइन लगाकर ढोंग करने में मुझे विश्वास नहीं है। रोजाना का काम चल रहा है। बांसी के विधायक जयप्रताप ¨सह ने बेबाकी से कहा कि निश्चित रूप से असर पड़ा है, मगर उतनी कठिनाई नहीं हो रही जितनी की आम आदमी झेल रहा है। बावजूद इसके विशेष परिस्थितियां बन जाती हैं, लेकिन उनका भी समाधान ढूढ़ लिया जाता है। शोहतरगढ़ विधायक लालमुन्नी ¨सह के प्रतिनिधि व उनके बेटे उग्रसेन ¨सह ने कहा कि संघर्षपूर्ण हालात हैं। क्षेत्र की जनता की आर्थिक मदद करने में संकट है। पिछले दिनों मां के इलाज के लिए लखनऊ गया था, पैसों के लिए मुझे भी कतार में खड़े होना पड़ा। हालांकि बहुत ज्यादा दिक्कत नही है। मजेदार जवाब दिया डुमरियागंज के विधायक कमाल यूसुफ मलिक ने। बोले कि तनख्वाह बैंक में आ गई। जब से रुपयों का संकट छाया विस क्षेत्र छोड़ कर कहीं गया ही नहीं। रही रोजाना के खर्चों की बात तो समर्थक- सहयोगियों का सहारा है।