चिरैया के चलते रोया बाबा, पोते ने दी जान
सिद्धार्थनगर: घर-आंगन की चिरैया यानी कि बेटी, बहू और मां का वजूद संकट में पड़ता है तो सारा जहां अकुला
सिद्धार्थनगर: घर-आंगन की चिरैया यानी कि बेटी, बहू और मां का वजूद संकट में पड़ता है तो सारा जहां अकुला जाता है। लोहिया सभागार भी बेचैन हुआ, रविवार की सांझ जब ओ री चिरैया की विषयवस्तु मंच पर सधे हुए अभिनय के साथ उतरी। कन्या भ्रूण हत्या और उस समाज की परिकल्पना जो स्त्री विहीन हो पर आधारित इस प्रस्तुति ने हर संवेदनशील दर्शक के नयन नम कर दिए। बहुतेरे तो आंसू पोंछते नजर आए। क्योंकि चिरैया के अभाव से टूटा हुआ बाबा आर्तनाद करता छटपटा रहा था, पोते के मन में उमड़ते-घुमड़ते सुलगते सवालों ने अंतत: उसे आत्महत्या पर विवश कर दिया था। खामोशी के साथ निकले दर्शकों की भावभंगिमा से संकेत मिला कि अब शायद बेटी बचाओ अभियान को मजबूती मिल जाएगी।
औपचारिकताओं का निवर्हन पूरा होते ही नवोन्मेष नाट्य उत्सव की यह विशिष्ट सांझ मंच पर रोशन हो गयी। विशिष्ट इस नाते कि नवोन्मेष के कर्ताधर्ता विजित ¨सह खुद ही प्रस्तुति का केन्द्रीय किरदार निभा रहे थे। प्रसूति कक्ष के बाहर एक बेचैन पुरुष, जिसे उस सूचना का इंतजार था कि बेटा हुआ है। मगर मन में खलबली मचाए वो आशंका भी सता रही थी कि कहीं बेटी न हो जाए। पोता मिला तो बाबा झूम गया। लगा नाचने, कोलाहल करने, अपनी उम्र की परवाह किए बिना। उसके मित्र ने हालांकि बेटा-बिटिया के फर्क से उबरने की नसीहत दी मगर बाबा को कहां यह बात सूझती। पोता जवान हुआ तो उसके मन में भी प्रेम के अंकुर फूटे। बस, यहीं से चिरैया का प्रसंग परवान चढ़ गया। बाबा से पोते का यह सवाल कि मेरी मां कौन थी? विषयवस्तु को झनझना गया। बाबा का मन स्त्री के वजूद को खारिज भी कर रहा था और उसके अभाव की पीड़ा को भी बर्दाश्त कर रहा था। अर्न्तद्वंद के कथानक का बेहद मार्मिक मंचन दुखांत के साथ हुआ। क्योंकि सवालों का समुचित उत्तर न मिलने से क्षुब्ध पोते ने आत्महत्या कर ली। इस अवसर पर मुख्य रूप से अपर जिला जज सपरिवार मंजीत ¨सह श्योराण, जेलर बीके गौतम, शिवेन्द्र ¨सह, लेखपाल संघ के रामकरन गुप्त सहित बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।
नवोन्मेष नाट्य उत्सव का रविवार को शुभारंभ जागरण के अभियान एक दीप शहीदों के नाम से हुआ। अपर जिला जज मंजीत ¨सह श्योराण ने सपरिवार, जेलर बीके गौतम, स्वास्थ्य कर्मी दीपेन्द्र मणि त्रिपाठी, लेखपाल संघ के रामकरन गुप्त सहित कई अन्य ने शहीदों को दीप जलाकर श्रद्धांजलि दी।