बाढ़ छोड़ काबीना मंत्री की सुरक्षा में रहे 14 थानेदार
सिद्धार्थनगर : सैलाब को लेकर जिले में तबाही मची हुई है। यहां तक कैबिनेट मंत्री शिवपाल खुद इस भयावह त
सिद्धार्थनगर : सैलाब को लेकर जिले में तबाही मची हुई है। यहां तक कैबिनेट मंत्री शिवपाल खुद इस भयावह तस्वीर को समझ रहे हैं। यही परिणाम रहा कि अभी जिले में सैलाब के दस्तक दिए तीन दिन से अधिक नहीं हुए और वह यहां की स्थिति देखने चले आए, पर जिम्मेदारों को इस गंभीरता का जरा सा इल्म नहीं है। आलम यह रहा कि बजाय लोगों के मदद देने विभाग ने 4 सीओ, 14 थानाध्यक्ष व प्रभारी निरीक्षकों को हमराहियों के साथ कैबिनेट मंत्री की सुरक्षा में लगा दिया।
पिछले तीन दिनों से जनपद की नदियों ने जिले में तबाही मचा दी है। सोमवार को बाणगंगा एफलेक्स पर मसिना व गोल्हौरा के पास बांध टूट गया। शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र में 110 गांव बाढ़ में डूबे हुए हैं। 200 से अधिक गांव मैरुंड हो चुके हैं। परिणाम यह रहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीम बुला ली गई। कानपुर से फ्लड यूनिटों को बुलाया गया है, पर सवाल यह है कि जिम्मेदारियों का ¨ढढोरा पीटने वाली पुलिस ने आखिर क्या किया? आखिर इस स्थिति में किस जिम्मेदार द्वारा पुलिस लाइन में सारी फोर्स लगाई गई थी। गुरुवार को सीओ इटवा दीपनारायण त्रिपाठी छुट्टी पर थे, मगर यहां सुपरविजन के लिए सीओ डुमरियागंज जटाशंकर व सीओ बांसी महिपाल पाठक को भी लगा दिया गया। उन्हें अभी कार्यभार ग्रहण किए मात्र एक दिन हुआ है। ऐसे में अहम सवाल यह है कि आफत की इस घड़ी में कहीं स्थिति अनियंत्रित होती तो पुलिस कर्मियों को गाइड लाइन कौन देता, जबकि जिले चार उपजिलाधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रित करने में जुटे हुए थे। यहां तक कि मंत्री के रिपोर्ट मांगने पर भी सिर्फ एसडीएम सदर उनके समक्ष उपस्थित हो सके। यह और है कि एएसपी मंशाराम गौतम कहकर किनारा कर गए कि यहां कितनी फोर्स लगी है, उन्होंने गिना नहीं।