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हिदायत, आश्वासन, आरोप में सिमटी समीक्षा

सिद्धार्थनगर: सूबाई सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले काबीना मंत्री शिवपाल ¨सह यादव का बाढ़ सर्व

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 10:10 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 10:10 PM (IST)
हिदायत, आश्वासन, आरोप में सिमटी समीक्षा

सिद्धार्थनगर: सूबाई सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले काबीना मंत्री शिवपाल ¨सह यादव का बाढ़ सर्वेक्षण फीका साबित हुआ। उड़नखटोले पर बैठक कर उन्होंने प्रभावित इलाकों का जायजा तो लिया मगर पेशानी पर ¨चता की लकीरें कहीं दिखी नहीं। संबंधित अफसरों के साथ समीक्षा के लिए बैठे तो भी हल्की हिदायतों से काम चला लिया। कार्यकर्ता मुखर हुए तो झुंझला गए। बात बाढ़ बचाव में लापरवाही की आई तो केन्द्र सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। कागजी कोरम के सहारे उफनाई दरिया को काबू में करने की कोशिश कर रहे अफसरों को वे बड़ी राहत दे गए।

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काबीना मंत्री की मौजूदगी में बाढ़ राहत की असली तस्वीर पेश करने के मंसूबे ढेर हो गए। पुलिस लाइन के सभाकक्ष में भी और बंद कमरे में लगी अफसरों की क्लास में भी। मानो मंत्री जी मूड बना कर आए थे कि असल तस्वीर के झोल को देखना नहीं है। पत्रकारों के बीच से आए तमाम सुलगते सवालों को भी वे करीने से टाल दिया। सवाल हुआ कि आखिर प्रदेश सरकार के धन से दुरुस्त किए गए बांध दरक क्यों रहे हैं? दरिया के पहले ही दबाव से कट क्यों रहे हैं? क्या सरकार ने हिसाब लिया? क्या वो अफसर चिन्हित किए गए जिन्होंने सिर्फ कागजों में शानदार तैयारियां कर रखी थी? इन सवालों को खुद उन्हीं के स्थानीय जिम्मेदारों ने भी उठाया। मगर, उन्होंने किसी एक सवाल का भी सीधा जवाब नहीं दिया।

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दिग्गजों ने सौंपे मांगपत्र

जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि रामकुमार उर्फ चिनकू, शोहरतगढ़ विधायक लालमुन्नी ¨सह के प्रतिनिधि उग्रसेन ¨सह सहित कई अन्य ने अपने क्षेत्र की जनसमस्याओं सहित कई मुद्दों को उभारते हुए मांग पत्र सौंपा।

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जिले का प्रथम नागरिक सबसे पीछे

जिला पंचायत अध्यक्ष गरीब दास को तवज्जो ही नहीं मिली। बल्कि उनके प्रतिनिधि चिनकू यादव काबीना मंत्री के हमकदम बने रहे। प्रथम नागिरक पुलिस लाइन परिसर में एक किनारे कुर्सी पर जमे रहे।

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डीएम ने मांगे दो करोड़

मंत्री जी को सौंपी गई बाढ़ संबंधी पुस्तिका में न केवल जनपद के भौगोलिक परिचय सहित बाढ़ प्रभावित इलाकों, उपलब्ध संसाधनों, आवश्यक संसाधनों, आवश्यकताओं की जानकारी दी गई बल्कि अलग अलग व्यवस्थाओं के लिए जरूरी 2 करोड़ रुपये भी डीएम द्वारा मांगे गए।

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कुछ समझ में ही नहीं आया

उड़न खटोले के एक सवार की एक टिप्पणी चर्चा का विषय बनी रही। काबीना मंत्री के जाने के बाद वे बोले कि समझ ही में नहीं आया कि किस इलाके को देख रहे हैं। हम तो ¨सगारजोत की बाढ़ देखना और दिखाना चाहते थे। पर पता ही नहीं चला कि वो इलाका कब निकल गया।

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गेट पर लगी रोक, अंदर से आया आदेश

पुलिस लाइन गेट पर दो कड़क मिजाज थानेदारों की ड्यूटी लगी थी। उनके हाथ सपा जिलाध्यक्ष द्वारा दी गई उन 22 नाम की सूची थी जिन्हें भीतर प्रवेश दिया जाना था। दोनों ने अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभाई तो मगर रोके जाने वाले हर शख्स के फोन और उस फोन के जवाब में आने वाले आदेश ने इस चुस्ती को ढीला कर दिया। नतीजा यह रहा कि तमाम तैयारियों के बाद भी भीतर भीड़ जमा हो गई।

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अभियंताओं ने ली लंबी सांस

काबीना मंत्री के आने से पहले असहज दिख रहे कार्यदाई संस्थाओं के अभियंता, समीक्षा बैठक खत्म होने और मंत्री जी के जाने के बाद बेहद नि¨श्चत नजर आए। कुछ ने गहरी लंबी सांस ली तो कुछ ने कहा कि चलो, बड़ी विपदा से बच गए।


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