सुनी मौत की खबर तो मुंह को आया कलेजा
सिद्धार्थनगर : मृतक तीनों मासूमों के पिता बाहर रह कर मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। किसी क
सिद्धार्थनगर : मृतक तीनों मासूमों के पिता बाहर रह कर मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। किसी को क्या पता था कि मंगलवार की सुबह उनके जीवन में बड़ा अंधेरा लेकर आएगी। महबुल्ला का आठ वर्षीय पुत्र सुहेल अपने बाप का चार पुत्रियों में इकलौता था। महिबुल्ला अभी एक सप्ताह पूर्व गुजरात कमाने गया था। घर के बड़े बुजुर्ग की रो-रो कर हालत खराब हैं। मृतक की मां मोमिना ने रोते-रोते कह रही थी कि आज जबरन अपने कलेजे के टुकड़े को स्कूल भेजा था। हमको क्या पता था कि आज अपने बच्चे को मौत के मुह में भेज रही हूं। अब रोने के आलावा कुछ नहीं बचा मेरा तो संसार ही चला गया। अब किसके सहारे हम जियेंगे। गांव वाले समझा रहे हैं कि कुदरत के आगे किसकी चलने वाली हैं। शायद सुहेल का साथ यही तक था। सहाबुद्दीन पुत्र अब्दुल सत्तार तीन पुत्रो में सबसे बड़ा था, जबकि आफरीन पुत्री अब्दुल हमीद, तीन भाई व एक बहन में दूसरे नम्बर की थी। अब्दुल हमीद व अब्दुल सत्तार के बाप सगे भाई हैं। दोनों महाराष्ट्र में रह कर कार्य करते हैं। 11 वर्ष पूर्व दोनों भाइयो को एक साथ बच्चे पैदा हुए। सहाबुद्दीन व आफरीन एक ही दिन पैदा हुए थे। रोजाना की भांति दोनों बच्चे सुबह भी कि भाँति आज भी सुबह मकतब में पढ़ने गए। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। जन्म के साथ साथ दोनों की मौत भी एक साथ हुई। इनकी माता शाहजहां व तलबुन के साथ पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। लोगों के जुबान पर एक ही बात थी कि कुदरत के आगे किसी की नहीं चलती।