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बैंकों की उदासीनता से योजनाएं बेमतलब

सिद्धार्थनगर : देश में बढ़ रही बेरोजगारी दूर करने को सरकार तमाम योजनाएं बनाती है। इनमें अधिकांश स्व

By Edited By: Published: Mon, 20 Jun 2016 11:39 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jun 2016 11:39 PM (IST)
बैंकों की उदासीनता से योजनाएं बेमतलब

सिद्धार्थनगर : देश में बढ़ रही बेरोजगारी दूर करने को सरकार तमाम योजनाएं बनाती है। इनमें अधिकांश स्वरोजगार से संबंधित होती हैं, जिनमें बैंकों के माध्यम से ऋण के रुप में लाभार्थी को पूंजी उपलब्ध कराई जाती है। यह ऋण रियायती दर पर दिया जाता है। ऐसी योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन देखा जाए तो हकीकत कुछ और ही है। बैंकों की उदासीनता के चलते योजनाएं बेमतलब साबित हो रही हैं।

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किसानों को एक ही छत के नीचे बीज, उर्वरक, कीटनाशक व मृदा परीक्षण सहित तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग ने एग्री जंक्शन योजना शुरु की है। इसके तहत वन स्टाप शाप के माध्यम से किसानों को उपरोक्त सहूलियतें दी जानी हैं। कृषि स्नातकों को इसके माध्यम से रोजगार मिलना था। योजना की लागत 4 लाख रुपये है, जिसमें 50 हजार लाभार्थी का अंश है तथा शेष 3.5 लाख बैंक के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाना है। इसके लिए जनपद में बैंक आफ बड़ौदा को चुना गया था। राहुल द्विवेदी, सूरज कुमार मिश्र, राजेश यादव, सूर्य प्रकाश, सुनील चौरसिया, प्रदीप त्रिपाठी, आशीष श्रीवास्तव, मो. शाहिद समेत कुल 18 लाभार्थियों ने सभी औपचारिकतांए पूर्ण कर फाइलें बैंक को प्रस्तुत की, लेकिन इनमें से एक को भी बैंक ने स्वीकृत नहीं किया। थकहार कर लाभार्थियों ने किसी तरह पूंजी जुटाकर अपनी शाप खोली। आज भी इनकी फाइलें बैंक में लटकी हुई हैं। चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत 18 और शाप खोलने का लक्ष्य शासन से आया है। जब पहले से ही इतनी ही फाइलें बैंक में लटकी हुई हैं, तो इनका क्या हाल होगा ? इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

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सभी औपचारिकताएं पूरी करवाने के साथ ही शासन द्वारा जारी पत्र को संलग्न कर फाइलें बैंक को भेजी गई हैं। विभाग की तरफ से कोई कमी नहीं है, न ही बैंक ने किसी कमी के बारे में सूचित किया है। स्वीकृत न होने का कारण बैंक के अधिकारी ही बता सकते हैं।

एस.एन. चौधरी

जिला कृषि अधिकारी

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अभी मैं नया आया हूं। वैसे बैंक अपना काम कर रहे हैं।

कल्पनाथ

लीड बैंक अधिकारी


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