जर्जर बांध से बाढ़ की सुरक्षा
सिद्धार्थनगर : साल के चार माह नदी व बांध के किनारे बसे ग्रामीणों के लिए बेचैनी भरे होते हैं। प्रशासन
सिद्धार्थनगर : साल के चार माह नदी व बांध के किनारे बसे ग्रामीणों के लिए बेचैनी भरे होते हैं। प्रशासन भले नदी के उतार चढ़ाव को माप चैन की नींद सोए पर ग्रामीणों को गांव के किनारे से होकर गुजरी राप्ती नदी पर जरा भी भरोसा नहीं। पहाडी यह नदी कब उफना कर तबाही का इतिहास दोहराने लग जाये कुछ कहा नहीं सकता। इनकी सुरक्षा के लिए बने बांध की जर्जर स्थित इन्हें और भी बेचौन किए रहती है।
राप्ती नदी के जल स्तर में उतार चढ़ाव से बांसी- पनघटिया बांध के किनारे बसे तहसील क्षेत्र के दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों की नींद उड़ी है। नगर के राप्ती पुल से सटे दक्षिणी छोर से होकर गये 32. 9 सौ किमी लंबे इस बांध का निर्माण 1952 में हुआ था। तभी से इसकी मरम्मत में प्रति वर्ष करोड़ों खर्च होते हैं। मरम्मत के नाम आने वाला धन कैसे व कहां खर्च हो जाता है यह सवाल जर्जर बांध खुद जिम्मेदारों से कर रहा है। बरसात के शुरु होते ही किया जाने वाला मरम्मत कार्य बांध को भले ही मजबूती न दे पर विभाग व ठेकेदारों को इससे आर्थिक मजबूती ता देता ही है। बांध से नदी तक कैरेट व कटर निर्माण हो या फिर जगह जगह बोल्डर पि¨चग का काम सभी के निरीक्षण मात्र से गुणवत्ता की पोल खुल जाती है। वर्तमान में इस बांध की स्थिति पर नजर दौड़ाए तो नदी के उफनाने पर इससे सुरक्षा का दवा नहीं किया जा सकता। किमी 16.300 पर पांच मीटर की चौड़ाई में, किमी 17.200, 18.900, किमी 20, 26 व 27 आदि पर बने एक दर्जन
रेनकट बांध कटने का संकेत दे रहे है। बांध के आखिरी छोर पर किमी 25 से 27 तक विगत एक वर्ष से कोई कार्य नहीं हुआ। नतीजतन बांध जगह जगह कट कर पतला हो गया है। नदी के तेज थपेड़ों में कब बांध से रिसाव शुरु हो जाये इस ¨चता में डूबे ग्रामीण नदी का जल स्तर बढ़ते ही सुबह सायं इसकी निगरानी में लग जाते हैं। टिकुई ग्राम निवासी राम राज यादव बांध की जर्जर स्थिति पर कहते हैं कि इधर दो वर्ष से बांध पर कोई भी मिट्टी का कार्य नहीं हुआ। जब बरसात शुरु होती है तो साहब लोग कभी कभी आ जाते हैं और जहां जहां कटान होने व होल बनने की बात सामने आती है वहां मरम्मत कार्य करा आंख बंद कर लेते है। विजय तिवारी ¨सचाई निर्माण खंड पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यह चाहता है कि कटान हो ताकि इसका उल्लू सीधा हो सके। टीकुर ग्राम पंचायत के विश्वामित्र पांडेय ने बताया कि साहब अभी दो वर्ष बांध पर बोल्डर पि¨चग हो रहा था। ठेकेदार मानक के विपरीत कार्य जब करवाने लगा तो हम लोगों ने विरोध किया। जेई से भी शिकायत की पर न तो काम रूका और न ही ठेकेदार का भुगतान रुका। सावित्री ने कहा कि बाबू हम तो बस यही जानते हैं कि यदि बांध कटा तो तहसील का पूर्वांचल क्षेत्र ही नहीं खलीलाबाद, गोरखपुर व महराजगंज का आंशिक भाग भी पूरी तरह प्रभावित हो जायेगा।