जानलेवा साबित हो रहे रसायनों से पके फल
सिद्धार्थनगर : लगन के सीजन में अच्छे मुनाफे के चक्कर में फल व्यवसायी कच्चे फलों को शीघ्र पकाने के च
सिद्धार्थनगर : लगन के सीजन में अच्छे मुनाफे के चक्कर में फल व्यवसायी कच्चे फलों को शीघ्र पकाने के चक्कर में रासायनिक पदार्थो का प्रयोग कर रहे हैं। रसायन से पके फलों की बिक्री पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होने के बाद भी विभागीय जिम्मेदारों ने कभी परीक्षण अभियान नहीं चलाया। लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे फल विक्रेताओं पर अंकुश लगाने के प्रति ध्यान न दिए से समस्या कब विकराल रूप धारण कर ले कुछ नहीं कहा जा सकता।
इटवा कस्बा समेत बिस्कोहर, कठेला, मझौवा, टिकुइया, महादेव घुरहू आदि प्रमुख चौराहों पर स्थित फल विक्रेता कार्बाइड से पकाये गये फलों को धड़ल्ले से बेच रहे हैं। इसके अलावा केले को पकाने में इथियोफोम केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। जिसका मानव शरीर पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है। जो कभी जानलेवा भी साबित हो सकता है। इस पर अंकुश लगाने के लिए विभाग समेत प्रशासन द्वारा कोई पहल न किये जाने से फल व्यवसायी जहां चांदी काट रहे हैं वहीं आम आदमी उससे होने वाले नुकसान की जानकारी के अभाव में गंभीर बीमारियों को खुला निमंत्रण देने को मजबूर है। होमियोपैथिक चिकित्सक डा. भास्कर शर्मा का कहना है कि कार्बाइड से पकाये गये फलों को खाने से शरीर में धीमा-धीमा जहर फैलने लगता है, यदि निरंतर उन फलों का उपयोग किया जाये तो किडनी, लीवर, हार्ट आदि पर घातक असर पड़ता है। इसके अलावा इथियोफोम रसायन से पका केला खाने से शरीर में कई गंभीर बीमारियों के पनपने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को केमिकल से पकाये गये फलों को खाने से परहेज करते हुए मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए।
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कार्बाइड व अन्य रासायनिक पदार्थो से पकाये गये फलों की बिक्री न होने पाये इसके लिए जांच अभियान शीघ्र चलाया जायेगा। जिस विक्रेता के यहां ऐसे नमूने मिले कड़ी कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी।
रामसूरत पाण्डेय
एसडीएम, इटवा