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ईश्वर सबसे बड़ा कारीगर

सिद्धार्थनगर : ईश्वर सबसे बडा कारीगर है। वह बनाना व बिगाड़ना अच्छी तरह जानता है। उनकी भक्ति में ही स्

By Edited By: Published: Thu, 14 May 2015 09:04 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2015 09:04 PM (IST)
ईश्वर सबसे बड़ा कारीगर

सिद्धार्थनगर : ईश्वर सबसे बडा कारीगर है। वह बनाना व बिगाड़ना अच्छी तरह जानता है। उनकी भक्ति में ही स्वयं के साथ सर्व समाज का कल्याण निहित है। इसके लिए श्रीमदभागवत कथा सुनना ही एक बेहतर मार्ग है।

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उपरोक्त बातें आचार्य संतोष शुक्ल जी महाराज ने कहीं। वह गुरुवार को सदर तहसील परिसर में चल रहे श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन उपस्थित श्रोताओं को संबोधित कर रहे थे। श्रीमदभागवत कथा सेवा समिति सिद्धार्थनगर एवं नारायण सेवा संस्थान उदयपुर राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चल रहा है। कहा कि किसी भी दैवीय आपदा के समय प्रभु पर दोषारोपण नहीं करना चाहिए। वरन उसका स्मरण करना चाहिए, क्योंकि ईश्वर अपने भक्तों से बेहद प्यार करते हैं। स्मरण करने से निश्चय ही कल्याण करेंगे। कहा कि कलयुग में जो व्यक्ति श्रीमदभागवत का श्रवण करते हैं, उनके जन्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। पीडित व जरूरतमंदों की सहायता तथा हमेशा सत्य के साथ रहना ही मानव धर्म है। जीवन में जो खुशी दूसरो की सेवा करने से मिलती है, वैसी अन्य कार्य से नहीं।

कथा के दौरान नारायण सेवा संस्थान के विष्णु कुमार रावत, मनीष मूंडवा समेत श्रीकांत दास त्यागी उर्फ सोनू बाबा,डीएन मणि त्रिपाठी, कन्हैया पासवान, दीपेन्द्र मणि त्रिपाठी, आशीष शुक्ला, अशोक श्रीवास्तव, राजेन्द्र मिश्रा, सुरेन्द्र मणि त्रिपाठी, अर¨वद झा, रमाकांत शुक्ला, राणा प्रताप ¨सह, दीपक कुमार उपाध्याय, डा अरुण कुमार पांडेय, प्रमोद कुमार गुप्ता, अर¨वद शास्त्री, हीरा लाल शास्त्री, अनिल ¨सह, कृष्ण कुमार पाठक आदि की उपस्थिति रही।

भगवान का महत्वपूर्ण रूप प्रेम

इटवा, सिद्धार्थनगर : खुनियांव विकास खंड के ग्राम नवेल में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन बुधवार की रात्रि वृंदावन धाम से आए कथावाचक पं. आलोकानंद शास्त्री जी ने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान जाति पाति के नहीं प्रेम के भूखे हैं। मानव अगर भगवान को प्रेम से याद करता है तो उन्हें अवश्य मिलते हैं। कहा कि भगवान के प्रति लोगों की अगर सच्ची श्रद्धा, हृदय में प्रेम, हाथ में मानव सेवा, दिल में समर्पण हो तो बस उसके रूप सौंदर्य को न देखकर उस पर प्रसन्न हो जाते हैं, और उसे अपना बना लेते हैं। यजमान संतराम चौधरी, राम त्रिपाठी, नीलम, सुनीता, डा. कुसुम पाठक, साक्षी श्रीवास्तव, सोनी, संजू ¨सह, प्रमीला चौधरी, बबलू सोनी, सीमा अग्रवाल, प्रियंका दुबे, सरस्वती दुबे, चंद्रप्रकाश सोनी आदि की उपस्थिति रही।


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