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एसएसबी जवानों के जज्बे को सलाम

सिद्धार्थनगर : ऐसे ही भारतीय सेना को विश्व के सर्वोत्तम आर्मी का दर्जा नहीं मिला है। कहीं भी, कितना

By Edited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 09:27 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 09:27 PM (IST)
एसएसबी जवानों के जज्बे को सलाम

सिद्धार्थनगर : ऐसे ही भारतीय सेना को विश्व के सर्वोत्तम आर्मी का दर्जा नहीं मिला है। कहीं भी, कितना भी दुरुह कार्य हो, जाबांज कंधे से कंधा मिलकर खड़े होते है। 25 अप्रैल को कुदरत ने कहर बरपाया, पड़ोसी देश नेपाल से लेकर भारत के कई प्रांतों में धरती डोल गई। एक मिनट के खेल में हजारों जाने चली गई। जनपद में भी घटनाएं हुई। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने तत्परता दिखाते हुए तीन मासूमों को काल के गाल से खीच लिया। इनके जज्बें को पूरा जिला सलाम कर रहा है।

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आपदा में राहत का कार्य हो या सीमा की सुरक्षा का बल। एसएसबी हमेशा देश सेवा में डट कर खड़ी मिलती है। भूकम्प से तबाह नेपाल में पड़ोसी धर्म को निभाते हुए देश के जाबांजों ने सीमा पार राहत प्रदान करने की इच्छा शक्ति को दिखाया। सोमवार को जनपद से 17 बसों से एक हजार एसएसबी जवान राहत कार्य के लिए प्रभावित क्षेत्रों में रवाना हुए। सेवा की भावना से ओत-प्रोत, कहा कि खाना से लेकर पानी, दवा व आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंदों को खून भी दिया जायेगा। इनकी झलक भूकम्प के पहले झटके में जनपदवासियों ने देखा था। गौतम बुद्धा पब्लिक स्कूल का छज्जा गिरा। यह एसएसबी कैम्प से पचास मीटर की दूरी पर स्थित है। पृथ्वी के हिलने का आभास कर जवान बाहर निकले, देखा कि स्कूल में बच्चे मौजूद है। जवान धर्मेन्द्र यादव, अनीस टी, शिवशंकर उपाध्याय व प्रकाश हिमची आवाज देते हुए दौड़ पड़े। जब तक स्कूल में पहुंचते छज्जा गिर गया। देखा कि दो बच्चे मलबा के चपेट में है। तत्काल बाहर निकाला। अभी प्राथमिक उपचार करते कि कराहने की आवाज सुन मलबा को फिर से हटाने का काम किया। इतने देर में अधिकारी से लेकर पूरी बटालियन घटना स्थल पर थी। युद्धस्तर पर राहत कार्य करने लगे। देखा कि एक बच्ची दबी है। उसके पैर की मांसपेशी फट गई थी। तत्काल एसएसबी के सहायक कमाडेंट डाक्टर सुमित सौरभ ने प्राथमिक उपचार कर एम्बुलेंस पर लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। खून तेजी से बह रहा था, देखते-देखते दस यूनिट खून दे दिया गया। पूरे समय तक अस्पताल में डटे रहे।

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नेपाल में राहत कार्य के लिए बटालियन से एक हजार जवान रवाना हुए है। कैसी भी जरूरत हो, जवान वहां डट कर कार्य करेंगे। अनुशासन में रह सामाजिक कार्य करना एसएसबी की प्राथमिकता में शुमार है। अगर जरूरत महसूस होगी तो अधिकारी भी राहत कार्य के लिए नेपाल जायेंगे।

अमित शर्मा

कमांडेंट, एसएसबी


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