चौवालिस लाख के अस्पताल को नहीं मिले डाक्टर
सिद्धार्थनगर : सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। गांवों में सरकारी अस्पताल अब सिर्फ देखने के
सिद्धार्थनगर : सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। गांवों में सरकारी अस्पताल अब सिर्फ देखने के लिए रह गए हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जिगिना ठाकुर 44 लाख की लागत से दस वर्ष पहले बना तो लेकिन आज तक यहां चिकित्सक की तैनाती नहीं हो सकी। इसके कारण लोग शासन-प्रशासन को कोसने के लिए मजबूर हैं।
आदर्श जनपद योजना के तहत वर्ष 2005-06 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिगिना ठाकुर का निर्माण कार्य शुरू कराया गया। कार्यदायी संस्था लोनिवि द्वारा कराए जा रहे निर्माण का शिलान्यास तत्कालीन विधायक माता प्रसाद पाण्डेय द्वारा चार जून 2006 को किया गया था। 44.12 लाख की लागत से बनने वाला भवन समय से बनकर तैयार हो गया। मगर आज तक डाक्टर की तैनाती न होने से लोगों को अस्पताल से कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पटना निवासी जलील अहमद का कहना है कि जब अस्पताल का निर्माण होने लगा तो यह खुशी हुई कि कस्बों की तरह ग्रामीण क्षेत्र में ही बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी, मगर जिम्मेदारों द्वारा कोई ध्यान न दिए जाने का नतीजा है कि कोई लाभ आज तक नहीं मिला। दुखरन दास ने बताया कि यहां सिर्फ एक वार्ड ब्वाय की तैनाती तो है, मगर आज तक दवा की एक टिकिया तक नहीं मिली। मो. इलियास ने बताया कि जब अस्पताल पर जाओ तो दवा नहीं मिलती। परसा बुजुर्ग निवासी गुलाम हुसेन का कहना है कि विभागीय लापरवाही के चलते पूरा परिसर अव्यवस्था के हवाले हो चुका है। भारी भरकम सरकारी धन खर्च कर बना अस्पताल सिर्फ लोगों को चिढ़ाने तक सिमट कर रह गया है। इस समस्या पर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी समझ से परे है।
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पूरे जनपद में डाक्टरों की कमी है, इसके लिए शासन तक लिखा पढ़ी की जा चुकी है। व्यवस्था होने पर वहां भी तैनाती की जाएगी। दवा की समुचित व्यवस्था कराई जाएगी, लेकिन इसके लिए शासन का फरमान आने तक इंतजार करना मजबूरी है।
डा. वीके गुप्ता
सीएमओ, सिद्धार्थनगर