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मिलती रहे लाश, नहीं दर्ज होगा मुकदमा

सिद्धार्थनगर : आजकल पुलिस अजीब पशोपेश में फंसी है। अपराध पर अंकुश लग नहीं पा रहा। थानेदार जानते हैं

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 09:42 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 09:42 PM (IST)
मिलती रहे लाश, नहीं दर्ज होगा मुकदमा

सिद्धार्थनगर : आजकल पुलिस अजीब पशोपेश में फंसी है। अपराध पर अंकुश लग नहीं पा रहा। थानेदार जानते हैं कि रजिस्टर में मुकदमों की संख्या कम होगी, तभी वह सुरक्षित हैं। तभी तो पुलिस ट्रे¨नग के दौरान पढ़ाई गई तफ्तीश का पाठ भूल जाती है। कब कौन सा संगीन मामला दर्ज किया जायेगा, यह जांच में जुटे दरोगा जी के विवेक पर निर्भर है। फरियादी प्रभावशाली है तो शायद मुकदमा पंजीकृत हो, वह भी अज्ञात के खिलाफ। संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत का हो या चोरी का, पुलिस सबको पचाने में लगी है। कम्यूनिटी पुलि¨सग पर इनकी मनमानी भारी पड़ रही है।

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अंग्रेजों के समय से पुलिस के संबंध में एक कहावत मशहूर है कि बीट सिपाही व हल्का दरोगा एवं प्रसूता दाई में कोई अंतर नहीं होता। कौन अपराध में किसकी संलिप्तता है, उनसे छिपी नहीं रहती। सदर सर्किल में साल भर के अंदर तीन लाश बरामद हुए। खुलासा के नाम पर मामला टांय-टांय फिस्स रहा। सब में एक समानता थी कि हरेक में किसी न किसी चर्चित का नाम गूंजता रहा। तहरीर मिलने के इंतजार में पुलिस शायद यह भूल गई कि ऐसे मामले में वादी पुलिस व चौकीदार खुद भी बन सकते है।

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केस 1

सोनू हत्याकांड : दो साल पूर्व दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दिन सदर थाना के पीछे सिसहनिया वार्ड के एक तालाब के पास सुनसान में किशोर सोनू की लाश मिली थी। काफी चर्चा भी हुआ। मौके पर प्रत्यक्षदर्शियों ने देखा था कि मृतक की जीभ बाहर निकली थी। पैंट व शर्ट उतरा हुआ था। बगल में एक तकिया रखा हुआ था। लेकिन पुलिस ने न तो मौके की फोटो लिया और न ही वीडियो बनाया। मुकामी थाने में मृतक के कपड़े के अलावा कोई अन्य साक्ष्य नहीं मौजूद है। मामला विधानसभा तक पहुंचा, नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने नीतिगत प्रश्न किया, तब जाकर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।

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केस 2

दीनानाथ हत्याकांड

27 जनवरी 2015 को भीमापार में लेखपाल दीनानाथ की जलकर संदिग्ध हालात में मौत हो गयी। घटना की सूचना मिलने पर डेढ़ घंटे बाद कोबरा टीम मौके पर पहुंचती है। उस वक्त परिजन कमरे की धुलाई में व्यस्त होते है, जिसमें दीना की मौत हुई थी। कमरे से सभी साक्ष्यों को मिटाने के बाद ही परिजनों ने पुलिस को कमरे में घुसने की इजाजत दी। मृतक का मलयुक्त पैंट बरामद किया गया। मृतक की जीभ बाहर थी। मजिस्ट्रेट व सक्षम पुलिस अधिकारी के समक्ष परिजनों ने बयान दिया, जो पल-पल बदलता रहा। पीएम रिपोर्ट भी सवाल उठते रहे। लेकिन पुलिस किसी वादी के इंतजार में मुकदमा दर्ज नहीं किया।

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केस 3

मनोज हत्याकांड

27 मार्च की रात ग्राम धौरीकुईंया के सीवान में जमुआर नाले के किनारे रात करीब साढ़े दस बजे युवक मनोज कुमार की लाश मिलती है। चौकीदार की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंचने के बाद देखती है कि लाश को ग्रामीण धुल चुके हैं। लेकिन पुलिस के अधिकारी घटना स्थल पर नहीं पहुंचते है। यहां भी पुलिस को वादी का इंतजार है।

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विवेचना के निर्देश

पुलिस मुख्यालय से जारी विवेचना दिग्दर्शिका पुस्तिका में कहा गया है कि ब्लांइड मर्डर के मामलों में हत्या के संदर्भ में विवेचक द्वारा कार्रवाई करने के दौरान सबसे पहले घटना स्थल का नक्शा दूरी माप कर बनाये। घटना स्थल व शव की फोटोग्राफी कराए। भौतिक साक्ष्य को चिन्हित करे। अगर स्थल को बदला गया है तो मिट्टी व अन्य साक्ष्य को संकलित करे। घटना स्थल पर पाए गए साक्ष्यों को ट्रीगर गार्ड से उठाए, ताकि ¨फगर ¨प्रट लिया जा सके। पंचायतनामा भरते समय सावधानी रखे कि पीएम रिपोर्ट से विरोधाभास न हो।

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पुलिस मौके पर पहुंच कर जो साक्ष्य उपलब्ध होते है, उनको एकत्र करने का काम करती है। अगर विवेचक मौके पर नहीं पहुंचता है, फोटो व अन्य साक्ष्य को नहीं बनाता है, इसको लापरवाही की श्रेणी में माना जायेगा। हत्या के मामलों में कोई वादी न होने के कारण मुकदमा नहीं लिखा जा सका।

रचना मिश्रा

क्षेत्राधिकारी, सदर

सिद्धार्थनगर


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