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अवैध बालू खनन का हब बना मुड़िलिया

सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र के बूढ़ी राप्ती की गोद में बसा मुड़िलिया बालू के अवैध कारोबार का हब बना

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 09:42 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 09:42 PM (IST)
अवैध बालू खनन का हब बना मुड़िलिया

सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र के बूढ़ी राप्ती की गोद में बसा मुड़िलिया बालू के अवैध कारोबार का हब बना हुआ है। नदी की कोख सूनी कर बालू माफिया मजे उड़ा रहे हैं। रात्रि से भोर तक बेखौफ चल रहा यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। सियासी सरपरस्ती के चलते बालू माफियाओं से पुलिस व प्रशासन पंगा लेना मुनासिब नहीं समझती। छापामारी के नाम खानापूर्ति किए जाने से कारोबार में शामिल लोग चकमा देने में कामयाब रहते हैं। बावजूद जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस रणनीति बनाई जाती नहीं दिख रही।

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तहसील क्षेत्र के मुड़िलिया घाट पर भोर से टैक्ट्रर-ट्रालियों की लाइन लगनी शुरू हो जाती है। जहां पहले से मौजूद मजदूर एक-एक कर सभी ट्रालियों में बालू भरते रहते हैं। दबंगई के बल पर घाट को अपनी जागीर मान बैठे बालू माफिया प्रति ट्राली दो से ढाई हजार की वसूली करते हैं। थोड़ी किरकिरी न हो इसके लिए पुलिस का हिस्सा अलग से फिक्स रहता है। सूत्रों के मुताबिक इस कारोबार में सियासी लोग शामिल हैं। जिनके ऊपर सत्ता पक्ष से जुड़े एक बड़े नेता का हाथ है। यदि कभी प्रशासन ट्रालियां पकड़ने के प्रति हिम्मत भी जुटाया तो उसे बीच में ही छोड़ना पड़ता है। बालू के अवैध कारोबार से कई लोग महंगी-महंगी लक्जरी गाड़ियों के स्वामी बन चुके हैं। इस धंधे में शामिल दबंगों का प्रभाव इतना है कि वह खनन वाले स्थानों पर आम आदमी की कौन कहे पुलिस वालों को भी नहीं घुसने देते। इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगेगा अथवा नहीं यह तो समय के गर्भ में है, मगर इटवा क्षेत्र में जिस तरह खनन नियमों की जमकर धच्जियां उड़ाई जा रही है, यह शासन प्रशासन में बैठे लोगों के लिए जांच का विषय है।

ग्राम प्रधान राम ललित पाण्डेय का कहना है कि मुड़िलिया गांव के लोग आसानी से मजदूरी पाते हैं, जिससे कोई बोलने वाला नहीं है। चूंकि दूसरे गांव बैरिहवा में रहने की वजह से रात में वहां जाना ठीक नहीं है। फिलहाल इधर खनन पर अंकुश लगा हुआ है। बालू माफियाओं द्वारा प्रशासन की हर कार्रवाई पर तिरछी नजर है। तहसील मुख्यालय गेट से लेकर खानकोट सेमरी, आनंद नगर, दो पेड़ौवा, हरिजोत, जिगिनाधाम आदि प्रमुख चौराहों पर खनन माफियाओं के जासूस मोबाइल के साथ मुस्तैद रहते हैं, जो हर पुलिसिया व प्रशासनिक गतिविधि की खबर अपने आका तक पहुंचाते रहते हैं। जिनसे निपटने के लिए जिम्मेदारों को खास रणनीति बनानी होगी।

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खनन वाले स्थानों पर प्रशासन की कड़ी नजर है। सभी थानाध्यक्षों को इस पर अंकुश लगाने के लिए पत्र भेजा जा चुका है। मै स्वयं रात में छापामारी में निकल रहा हूं। माफिया अपने जासूसों के माध्यम से कार्रवाई की सूचना पहले प्रसारित कर देते हैं, जिससे लोग ट्रालियां लेकर बलरामपुर जनपद की सीमा में फरार हो जाते हैं। यदि कोई मिला तो उसे बख्सा नहीं जाएगा। चाहे वह कोई भी क्यों न हो।

रामसूरत पाण्डेय

उपजिलाधिकारी, इटवा


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