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जल ही जीवन, संरक्षण जरूरी

सिद्धार्थनगर : जल ही जीवन है। जल के प्राकृतिक स्त्रोतों का संरक्षण करने के लिए हमें सतत प्रयत्नशील

By Edited By: Published: Tue, 24 Mar 2015 10:11 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2015 10:11 PM (IST)
जल ही जीवन, संरक्षण जरूरी

सिद्धार्थनगर : जल ही जीवन है। जल के प्राकृतिक स्त्रोतों का संरक्षण करने के लिए हमें सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए। जल के महत्व को दैनिक क्रिया कलापों में कार्य करना नितांत आवश्यक है। कृषि के क्षेत्र में पानी काफी मात्रा में प्रयोग होता है। इसके महत्व को ध्यान में रखकर ऐसी फसलों का उत्पादन करें जो कम जल ग्राही हो। जल को धार्मिंक रूप से मान्यता मिली है। जिससे जल संरक्षण हो सकें।

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यह बातें जिलाधिकारी डा. सुरेन्द्र कुमार ने कहीं। वह मंगलवार को विकास भवन सभागार में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता समिति उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कहा कि जल स्वास्थ्य वर्धक व कल्याणकारी हो इस दिशा में समुचित प्रयास करने की जरूरत है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी जल के प्राकृतिक स्त्रोतों व उससे संबंधित तालाबों, पोखरों व झीलों का सरंक्षण करने का निर्देश दिया है। उसपर अवैध कब्जा न किया जाए। जल के दुरुपयोग को बंद करने के साथ संरक्षण पर जोर देने की आवश्कता है। मुख्य विकास अधिकारी अखिलेश तिवारी ने कहा कि हमारे देश में प्राकृतिक संसाधन प्रर्याप्त मात्रा में है। संवर्धन व संरक्षण से ही संतुलन बना रहेगा । आज जल का अस्तित्व मंगल ग्रह पर भी खोजा जा रहा है। जिससे जीवन के संभावनाओं की तलाश संभव है। यदि समय रहते प्राकृतिक संसाधनों का समुचति प्रयोग नहीं किया गया तो आने वाले समय में जल प्राकृतिक आपदा के रुप में समूचे जीव जगत के लिए के संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसे में जल के बिना जीवन की कल्पना बेमानी होगी। कहा कि कृषि प्रधान यह जनपद अपने आपमें भाग्यशाली है कि यहां पर एक दर्जन सागर प्राकृतिक ने हमें वरदान दिया है। जरुरत है इसको विकसित करके जल संग्रह क्षमता बढाने की। शासन में इसके लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। पीडी पीके पांडेय ने कहा कि समय रहते चेता नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं जब 2025 में पानी के लिए मारा फिरना पड़ेगा। ऐसे में बरसात के जल को वाटर हारवेस्ट के जरिए 100 वर्ग क्षत से 80 हजार लीटर पानी रिचार्ज होगा। जिला प्रशिक्षक अधिकारी ग्राम्य विकास संस्थान बस्ती अशोक कुमार दूबे ने कहा कि पानी से 75 फीसद बीमारी फैलती है। वर्ष 2022 तक देश व प्रदेश की सरकार प्रत्येक गांव व प्रत्येक घर को पाइप लाइन के जरिए शुद्ध पानी उपलब्ध कराएगी। पूरे देश में 97 फीसद पानी खारा है। मात्र 3 फीसद ही पानी मीठा है। उसमें से भी 80 फीसद पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। पानी में क्लोराइड से हड्डियां में गलने लगी है। पानी को शुद्ध बनाए रखने के लिए सभी को आगे आना होगा। दवाओं के प्रयोग से हमारे शरीर के आवश्यकता वाले कीटाणु भी खत्म हो जा रहे हैं। जिससे बीमारी से हम जंग नहीं लड पा रहे है। अधिषासी अभियंता जलनिगम एके ¨सह ने कहा कि जल स्त्रोतों का संरक्षण किया जाए। कहा जल संवर्धन करे तथा जल के प्राकृतिक स्त्रोत को रसायनिक अशुद्धियों से बचाएं।

गोष्ठी को डीडीओ सुदामा प्रसाद, डीसी मनरेगा गिरीश चन्द्र पाठक, जिला कृषि अधिकारी एसएन चौधरी, हरिओम शर्मा सच्चिदानंद ¨सह, सचिन त्रिपाठी, प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष श्याम नरायान मौर्य, आरपी मौर्य, मयंक बाजपेयी, परमात्मा यादव, हरीश चन्द्र पांडेय, सुरेश चन्द्र, राज किशोर, जय गो¨वद द्विवेदी, शहजादे इस्लाम मोहसिन, राकेश ¨सह, सुशील गुप्ता, विनोद चौबे, दीना नाथ विश्वकर्मा, हंसराज ¨सह, वीएन पांडेय आदि ने संबोधित किया।


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