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हरियाली के आंगन में अहिरौली

सिद्धार्थनगर : ''पर्वत नदियां हरियाली से बतियाता है गांव, अक्षत, रोली, फूल द्वार पर रखना अपने पांव।

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 10:04 PM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 10:04 PM (IST)
हरियाली के आंगन में अहिरौली

सिद्धार्थनगर : ''पर्वत नदियां हरियाली से बतियाता है गांव, अक्षत, रोली, फूल द्वार पर रखना अपने पांव। हवा बहन गाती है कुछ-कुछ, सदा सुमन के गीत, गंध सुगंध बिखेर दिशाएं झरती झर-झर प्रीत।'' यह पहचान है अहिरौली की। वह बसा ही है हरियाली के आंगन में। वहां की माटी को जैसे प्रकृति का विशेष आशीर्वाद प्राप्त हो। यही कारण है अब ग्रामीणों द्वारा रोपे गए कोई भी पौधे अब तक सूखे नहीं हैं।

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पर्यावरण प्रेमियों को सबक लेनी चाहिए इस गांव से। नौगढ़ विकास खंड के इस गांव में पौधों की कदर पुत्रों से कम नहीं है। गांव के बाहर इन्हें भले किसी की नजर लगी हो, मगर भीतर कोई बाल तक बांका नहीं कर सका। इनकी घेराबंदी के चलते गांव में प्रवेश के सिर्फ दो रास्ते हैं। ग्रामीण भी इसका विशेष ख्याल रखते हैं। इनके बढ़ते आकार से ग्रामीणों को भवन निर्माण में भी बाधा आती है। बावजूद इसके पर्यावरण के इन दूतों का कभी कोई अहित नहीं हुआ। गांव के फूलचंद घर का विस्तार नहीं कर पा रहे हैं। बगल में तरकुल का पेड़ हैं। संजय यादव, भगवानदास आदि की दशा यही है। पीपल भले मिटने के कगार पर हो, मगर यहां एक हजार की आबादी में दो दर्जन से अधिक पीपल के वृक्ष हैं। दर्जन भर बरगद हैं। यहां पचीस से अधिक ऐसे वृक्ष हैं जिनकी उम्र सौ साल से अधिक है। दरअसल इन्हें तो जुनून है पर्यावरण प्रेम का है। दस वर्ष पूर्व आशा संगिनी अनीता यादव यहां ब्याह के आई तो ससुर व पूर्व ग्राम प्रधान लक्ष्मी यादव (अब स्वर्गीय) का पर्यावरण प्रेम देखकर दंग रह गई। महराजगंज के बृजमनगंज थाना अन्तर्गत ग्राम अहिरौला मायके के लोगों को भी इसका संदेश दिया है। पिछले पांच वर्षो में उनके मायके वाले भी सौ से अधिक पौध रोप चुके हैं। यह परंपरा बन चुकी है गांव की। गांव के महातम यादव(85) तो लोगों से कहते हैं कि वह पौधे जरूर लगायें। धरती पर जीवन उन्हीं की बदौलत है। चिमनियों के धुएं, फैक्टियों का रसायन, पालीथीन पर्यावरण में जहर घोल रहे हैं। ऐसे में हर किसी को संकल्प लेना चाहिए पौधरोपण के लिए। वह स्वयं भी पांच सौ से अधिक पौधे लगा चुके हैं। इसमें पचास से अधिक इन्होंने गांव में लगाए हैं। गांव में कुल तीन हजार से अधिक पेड़ हैं। पर्यावरण विद व शिवपति स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा.बी.सी.श्रीवास्तव कहते हैं यह गांव हरियाली का मिसाल है। इनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। जनपद का हर नागरिक संकल्पित हो जाये पौधरोपण व उन्हें बचाने के लिए तो इससे सुंदर भारत का कोई जिला नहीं हो सकता। आंख खोलते ही यहां से पर्वतराज हिमालय का चेहरा दिखता है। ताजी हवाएं मिलती हैं। इसमें तंदुरुस्ती का वह मंत्र है, कल कारखानों में बैठकर दवाओं के बल पर हासिल नहीं किया जा सकता।


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