गेहूं बुआई में रुला रही खाद
सिद्धार्थनगर : जिले में लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक डीएपी व यूरिया खाद नहीं आ पायी है। जिसके कारण सहका
सिद्धार्थनगर : जिले में लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक डीएपी व यूरिया खाद नहीं आ पायी है। जिसके कारण सहकारी समितियों से किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा हैं। अन्नदाता को एक-एक छटाक खाद लिए भटकना पड़ रहा है। इससे यह बात साबित हो रहा कि किसानों को गेहूं की बुआई में खाद रुला रही है।
वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए गेहूं फसल के लिए 1 लाख 58 हजार 873 हेक्टेयर आच्छादन का लक्ष्य है। रबी अभियान की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बिना खाद कैसे होगी? इसकी चिंता किसानों को खाए जा रही है। सहकारिता विभाग के 127 समितियों में 10 निष्क्रिय हैं। इस बार शासन स्तर से ही सहकारिता का खाद लक्ष्य बढ़ाकर सबसे अधिक निर्धारित कर दिया गया है। यूरिया का लक्ष्य 42200 मैट्रिक टन है। इसमें लक्ष्य के सापेक्ष मात्र लगभग 10 फीसद ही 3814 एमटी यूरिया व डीएपी 16945 मैट्रिक टन के सापेक्ष 5137 एमटी तथा एनपीके 4075 एमटी लक्ष्य के सापेक्ष 219 एमटी खाद अभी तक उपलब्ध हो पायी है। अधिकांश खाद का वितरण भी हो चुका है। इस बीच तस्करी के जरिए पड़ोसी देश नेपाल भी खाद पहले ही पहुंचायी जा चुकी है। किसानों के गेहूं की बुआई अब चरम पर है गुणवत्तायुक्त की डंका बजाने वाली खाद का वितरण करने वाली प्रमुख संस्था से खाद जरूरत के समय नहीं मिल पा रहे है। अधिकांश समितियां बिना खाद के सूनी पड़ी हुई है। समिति से यूरिया व डीएपी गायब हैं। जिसका बेजा फायदा उठाकर निजी दुकानदार अधिक पैसा वसूल कर मलाई काट रहे है। खाद की उपलब्धता का यहीं हाल रहा तो किसान खाद के अभाव में बर्बाद हो जाएंगे। प्रगतिशील किसान विजय प्रताप सिंह, चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव, धर्मराज यादव, बब्लू मिश्र, संतू प्रसाद चौधरी, जर्नादन मिश्र, राजेन्द्र यादव व विक्रम यादव तथा बर्डपुर क्षेत्र के सूर्य कुड़िया निवासी विष्णु रावत व प्रमोद रावत आदि ने सहकारी समितियों पर लक्ष्य के सापेक्ष खाद उपलब्ध कराने की मांग किया है। जिला सहायक निबंधक सहकारिता अशोक कुमार ने खाद संकट की बात स्वीकार करते हुए कहा कि इफ्को द्वारा आपूर्ति नहीं कराया जा रहा हैं। जिससे संकट हो रही हैं। समस्या समाधान के लिए जिलाधिकारी के स्तर से शासन व भारत सरकार को अवगत कर दिया गया है। जिला कृषि अधिकारी एसएन चौधरी ने बताया कि निजी दुकानदारों के पास लक्ष्य से अधिक यूरिया व डीएपी उपलब्ध कराया जा चुका है।