अपराध की नर्सरी से डकैतों का नाता
सिद्धार्थनगर गुलाबी ठंड का मौसम। रात एक से तीन बजे तक का समय, बदमाशों के लिए मुफीद बनता जा रहा है
सिद्धार्थनगर
गुलाबी ठंड का मौसम। रात एक से तीन बजे तक का समय, बदमाशों के लिए मुफीद बनता जा रहा है। ऐसे समय में जनता और पुलिस नींद में होती है, तब निकलते हैं शातिर नए उम्र के बदमाश। इनके पास कोई हथियार नहीं है बल्कि पशु हाकने वाले डंडा से इनका फंडा चल रहा है। पुलिस को हैरानी है कि चार बड़ी घटनाओं में बदमाशों का अहम मार्ग वही है जिसे पशु तस्कर प्रयोग में लाते हैं।
दरअसल, अपराध की उस नर्सरी से डकैतों का नाता है, जिसकी जड़ में पुलिस ने जब भी मट्ठा डाला, वह गिरोह चुनौती देता नजर आया। बीते अगस्त माह से पशु तस्करी पर पुलिस ने काफी हद तक लगाम कस दिया है। पशु तस्कर बेरोजगार हैं, उनके पास दूसरा कोई धंधा नजर नहीं आ रहा। पहली सितम्बर की रात में बदमाशों ने सनई के उस सूनसान इलाके में डकैती डाली, जहां से होकर पीकप से पशु निकलते हैं। पुलिस ने घटना का पर्दाफाश करते हुए दो लोगों को जेल भेजा, लेकिन घटना में शामिल अन्य चार पकड़ में नहीं आए। संतकबीर नगर के एक अपराधी का नाम आया। पुलिस ने उसके नजदीकी को उठाया, लेकिन सत्ता की मजबूरियों में हाथ बंध गए। इस घटना में बदमाशों ने उस सीढ़ी का प्रयोग किया था, जो अक्सर भूसा लादने वाले ट्रकों पर देखा जाता है। इस तरह की सीढ़ी गोबरहवा बाजार में देखी जाती रही। दूसरी घटना बढ़नी में मिल कालोनी के एक अधिवक्ता के यहां हुई, संयोग से कुछ कदम दूर से तस्करी के पशु उस पार जाते रहे हैं। इसमें भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला। बांसी कोतवाली के प्रतापनगर में हुई तीसरी घटना भी पशु तस्करों के लोकेशन का है। यहां भी उसी अंदाज में घटना को अंजाम दिया गया। सदर थाना क्षेत्र के मधुकरपुर में हुई डकैती भी डंडे के बल पर हुई। यह भी स्थान पशु तस्करों का सुगम मार्ग है। चारों घटनाओं में कहीं भी असलहे का प्रयोग नहीं हुआ। यानी बदमाश बाहरी नहीं स्थानीय हैं। यदि बाहरी हैं भी तो स्थानीय से नाता है और वह इतने मजबूत नहीं है कि असलहा खरीद लें।
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20 से 30 वर्ष है इनकी उम्र
ताबड़तोड़ घटनाओं से आम जन और पुलिस की नींद उड़ाने वाले अपराधियों की नजर अमूमन 20 से 30 वर्ष के बीच की है। इसी उम्र के अधिकांश लोग पशु तस्करी के धंधे में जुड़े हैं। पुलिस को इन पर भी शक है, लेकिन वह अभी सुराग की तलाश कर रही है। नौगढ़ कस्बे का रहने वाला एक अपराधी नेपाल के तौलिहवा में शरण लिया है। अभी यह दस दिन पहले कस्बे में देखा गया था। भेष बदला था। फ्रेंच कट दाढ़ी वाले इस बदमाश की पुलिस को तलाश है।
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बड़े शातिरों पर पुलिस की नजर नहीं
पुलिस की उन बड़े शातिरों पर नजर नहीं हैं, जो आजमगढ़ जनपद से लेकर स्थानीय स्तर पर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। इनका संगठन आस-पास के जिले ही नहीं बल्कि नेपाल तक मजबूत है। कथित तौर पर एक ऐसे वर्दीधारी को इनका संरक्षण मिल गया है, जिनके समय में बाइक चोरी की धूम मची हुई थी। आशंका इस बात पर भी है कि कहीं वही गिरोह दूसरे तरीके से काम तो नहीं कर रहा।
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सनई कांड के पर्दाफाश पर सवाल
सनई डकैती कांड का पर्दाफाश करने वाली पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं। यदि यह पर्दाफाश सही है तो पुलिस को चोरों का ठिकाना भी मालूम है। सर्विलांस पर लगे मोबाइल में इनका लोकेशन भी पुलिस के हाथ लगा था। शायद पुलिस ने वह मोबाइल भी बरामद किया था, जिसे बदमाश अपने साथ लेकर गए थे। इसका सबक लेते हुए दूसरी घटनाओं में उन्होंने मोबाइल कूंचकर नष्ट करना शुरू कर दिया है।
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''सभी घटनाओं की बारीकी से जांच हो रही है। देर हो सकती है, लेकिन सफलता जरूर मिलेगी। इसके लिए पुलिस टीम लगी हुई है। हां इतना जरूर है कि कम उम्र के बदमाश ही इस तरह की घटना को अंजाम दे रहे हैं, जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस लगी हुई है।''
के.के. चौधरी
पुलिस अधीक्षक