संस्कार के प्रति जागरूक होने की दिखी ललक
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : दैनिक जागरण द्वारा आयोजित सबसे बड़ी 'संस्कारशाला परीक्षा' में सम्म
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : दैनिक जागरण द्वारा आयोजित सबसे बड़ी 'संस्कारशाला परीक्षा' में सम्मिलित बच्चों में संस्कार के प्रति जागरूक होने की ललक दिखाई पड़ी। परीक्षा में शामिल न होने को लेकर तमाम बच्चों ने अफसोस जाहिर की, वहीं प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने परीक्षा के जरिए संस्कारवान बनने का संकल्प भी लिया।
सोमवार को जिला मुख्यालय स्थित सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल पूर्वाह्न 11 बजे से ही रजिस्ट्रेशन कराये 254 परीक्षार्थियों में परीक्षा को लेकर गजब का उत्साह दिखा। परीक्षा में शामिल बच्चों में प्रश्नपत्र हल करने को लेकर पल-पल भारी पड़ रहा था। इस बीच 11 बजकर 50 मिनट पर सभी परीक्षा केंद्रों पर सीटिंग प्लान के तहत परीक्षार्थियोंको प्रवेश पत्र के साथ बैठने का निर्देश हुआ। इसके बाद उत्तर पुस्तिका का वितरण हुआ, जिसमें परीक्षार्थियों ने सर्व प्रथम नाम व अनुक्रमांक भरा। दोपहर 12 बजते ही प्रश्नपत्र का वितरण किया गया।
प्रश्नपत्र पाते ही परीक्षार्थियों ने नई-नई तकनीक, बढ़ती स्पर्धा, भौतिकवादी सोच और पर्यावरण संकट के इस दौर में बच्चों में आधुनिक संस्कारों के निर्माण के लिए दैनिक जागरण के देशव्यापी अभियान के तहत पर्यावरण, सेहत, व्यक्तित्व विकास, टीम भावना, तकनीक का इस्तेमाल, नेतृत्व के गुर, रिश्ते, गुस्से पर नियंत्रण, अच्छे श्रोता, अच्छा नागरिक, समाज में योगदान, खान-पान और संयम के मंत्र जैसे संस्कारों को शामिल प्रश्नपत्रों को हल करने में जुट गये।
सकुशल परीक्षा कराने में राजेश सिंह, शिव शंकर मिश्रा, अवधेश मिश्रा, विनोद सिंह, अनुराग उपाध्याय, विकास पांडेय, पंकज श्रीवास्तव, रशीदा बानो सिद्दीकी, राधेश्याम यादव की भूमिका अहम रही।
सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल में परीक्षा देने के बाद बच्चे खुलकर बोले। अर्थव गुप्ता का कहना है कि संस्कारशाला का नाम ही सीख देता है। प्रश्नों के अध्ययन बाद सच बोलना, सच की राह चलने का भी ज्ञान दिया। वैभव सिंह का कहना है कि परीक्षा से सदैव अच्छे काम करने व दूसरों की मदद करने की सीख मिली। अंशू मिश्रा कहती हैं कि परीक्षा देने का मौका मिला, इससे नैतिकता को समझने का बेहतर जानकारी की बात सामने आयी। जागरण के इस पहल की सराहना होनी चाहिए। अभय प्रताप सिंह का कहना है कि देश में संस्कारों का बड़ा महत्व है। बचपन से ही बड़े संस्कार सिखाते हैं, ऐसे में जागरण का कदम स्वागत योग्य है। निधि चौरसिया कहती है कि संस्कारशाला में शामिल होकर वह गौरान्वित महसूस कर रही हैं। तमाम ज्ञान ऐसे मिले, जिसके अमल को जीवन में लाने को विवश कर दिया है। शिवांगी त्रिपाठी कहती हैं कि परीक्षा में स्वयं की गलती को भी स्वीकार करने की प्रेरणा मिली। साथियों को कुछ सिखाने का भी संदेश दिया।
संस्कारशाला के तहत परीक्षा की जमकर सराहना हुई। सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक जी.पी. चौरसिया कहते है कि संस्कारवान शिक्षा की परीक्षा निश्चय ही बच्चों के उज्जवल भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा। जागरण की यह पहल सामाजिक सरोकार को जोड़ने में अहम भूमिका निभायेगी। परीक्षा बच्चों के अलावा शिक्षकों के लिए भी ऐसी परीक्षाएं आयोजित किया जाना चाहिए। दैनिक जागरण ने बेहतर पहल की। इसकी सर्वत्र सराहना की जानी चाहिए।