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बिन बिजली पढ़ाई, उपकरण धराशायी

By Edited By: Published: Fri, 12 Sep 2014 10:18 PM (IST)Updated: Fri, 12 Sep 2014 10:18 PM (IST)
बिन बिजली पढ़ाई, उपकरण धराशायी

सिद्धार्थनगर

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परिषदीय विद्यालयों में बिजली सुविधा मुहैया कराने में जमकर खेल हुआ है। कनेक्शन तो दूर जहां उपकरण लगाए गये हैं, उसमें भी मानक का ख्याल नहीं किया गया। प्राइवेट फर्मो ने ग्राम शिक्षा समितियों के माध्यम से खूब मनमानी किया। स्कूलों में लगे स्वीच बोर्ड उखड़ चुके हैं, वायरिंग भी जगह-जगह ध्वस्त है।

तहसील के तीनों विकास खंड खेसरहा, बांसी व मिठवल में स्थापित पूर्व माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालयों पर गौर करें तो बांसी के 12 माध्यमिक व 21 प्राथमिक विद्यालयों पर विद्युतीकरण अभी तक नहीं हो सका। इसी प्रकार मिठवल के 20 पूर्व व 32 प्राथमिक विद्यालय के बच्चे भी आपूर्ति के अभाव में बिना पंखे के इस उमस भरी गर्मी में पठन पाठन कर रहे हैं। खेसरहा विकास खंड में स्थापित 20 माध्यमिक व 26 प्राथमिक विद्यालय भी आपूर्ति की आस जोह रहे हैं। आपूर्ति के अभाव में अधिकांश विद्यालयों के उपकरण धराशायी हो चुके हैं। यहीं के कुर्थिया प्राथमिक विद्यालय में खराब स्वीच बोर्ड व पंखे लटक रहे हैं। आपूर्ति नहीं है। इसी विद्यालय परिसर से हाईटेंशन तारों को तीन तरफ से ले जाया गया है। विद्यालयों के बच्चों के लिए यह कब खतरे का सबब बन जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। पिढि़या स्थित प्राथमिक विद्यालय में गर्मी से बेहाल बच्चों ने हो हल्ला किया तो उन्हें बरामदे में बिठा कर पठन पाठन किया जा रहा है। कड़जा के प्राथमिक विद्यालय के लिए ट्रांसफार्मर तो एक वर्ष पूर्व लग गया पर इससे विद्यालय को आज तक नहीं जोड़ा गया। अब तो यह ट्रांसफार्मर भी बच्चों के लिए खतरे की घंटी है।

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''जिन भी विद्यालयों का पैसा मिला वहां विद्युत आपूर्ति दी जा चुकी है। जहां आपूर्ति नहीं हो रही वहां कनेक्शन के लिए कोई आवेदन नहीं आया होगा या फिर विभाग को पैसा नहीं मिला होगा। यदि पैसा जमा होता तो कनेक्शन अवश्य दिया गया होता।''

मनोज कुमार

एसडीओ विद्युत, बांसी

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''जिन भी विद्यालयों में विद्युतीकरण नहीं हुआ है वहां की मैं सूची तैयार करवा रहा हूं और उसके अनुसार बिजली विभाग को लिख रहा हूं। अधिकांश विद्यालयों में विद्युतीकरण का पैसा विभाग को दिया जा चुका था इसमें कितने का हुआ यह भी जानकारी ले रहा हूं। रही बात विद्यालयों में लगे उपकरणों के धराशायी होने की तो संबंधित प्रधानाध्यापकों को उसे ठीक कराने के लिए लिखूंगा।''

डा.कौशल किशोर

जिला बेसिक शिक्षाधिकारी, सिद्धार्थनगर


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