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हरियाली पर दुश्मनों की नजर

By Edited By: Published: Thu, 11 Sep 2014 10:51 PM (IST)Updated: Thu, 11 Sep 2014 10:51 PM (IST)
हरियाली पर दुश्मनों की नजर

सिद्धार्थनगर : गोल्हौरा थाना क्षेत्र में हरियाली के दुश्मनों की पौ बारह है। वन विभाग व पुलिस से बेखौफ यह हरियाली पर डाका डाल रहें हैं। एक पखवारे के अंदर सौ से अधिक हरे व फलदार वृक्ष इनके आरों की भेंट चढ़ गये और जिम्मेदार आंख बंद किये बैठे रहे।

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एक दो अनुपयोगी व बांझ वृक्षों के नाम पर जारी की जाने वाली परमिट पर वह एक दर्जन व इससे अधिक हरे पेड़ों को एक-एक कर आरे की बलि चढ़ा देते हैं। कोई भी पेड़ यह काटते हैं तो उसकी जड़ तक यह खोद ले जाते हैं, ताकि विभागीय जांच में असलियत उजागर न हो। यह खेल थाना व वन विभाग के कर्मचारियों के इशारे पर ही चलता है। एक पखवारे से गोल्हौरा थाना क्षेत्र वन माफियाओं का हब बना है। क्षेत्र के आमामाफी में हरे पेड़ों की कटान धड़ल्ले से जारी है। बांसी वन रेंज के विशुनपुर बीट पर चार दिन पूर्व तक जारी कटान में अब तक एक दर्जन हरे आम के पेड़ आरे की बलि चढ़ चुके हैं। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की तो विभाग चेता पर ठेकेदार ने छह पेड़ की परमिट दिखा विभाग का मुंह बंद कर दिया। ग्रामीणों के अनुसार वर्तमान में यहां से कुल आठ पेड़ काटे जा चुके हैं। इसी प्रकार ग्राम बालेजिनवा में भी दो हरे आम के पेड़ को कटेरों ने धाराशायी कर दिया। एक सप्ताह पूर्व महुआ कला में दस पेड़ों की परमिट पर क्षेत्र के एक चर्चित वन माफिया ने आम, महुआ व शीशम के 50 हरे वृक्षों को काट कर गिराया। इसी प्रकार एक पखवारे के अंदर थाना क्षेत्र के ग्राम रैनाजोत, डड़वाघाट, ढढ़ीजोत, चेतियवा आदि में भी दर्जनों पेड़ कटेरों का निशाना बन चुके हैं।

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सिर्फ दिखावा है बांड

पेड़ स्वामी यदि कोई निष्प्रयोज्य पेड़ कटाने के लिए वन विभाग की इजाजत लेता है तो विभाग उससे एक बांड भराता है कि वह एक पेड़ की जगह दो नये पौधों को रोपित करेगा। यदि यह नियम है तो विभाग इसका अनुपालन क्यों नहीं करवाता है? अभी तक जितने भी पेड़ कटे हैं उसके अनुसार कितने नये पौध रोपित किये गये इसकी जांच यदि करा ली जाये तो तो विभाग की सारी सच्चाई सामने आ जायेगी।

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''सूचना हमें नहीं थी। यदि ऐसा हो रहा है तो मैं अभी दिखवाता हूं। यदि कटान जारी है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी। रही बात परमिट जारी होने की तो वह उद्यान विभाग की रिपोर्ट पर ही जारी होती है।''

पीएन सिंह

डीएफओ, सिद्धार्थनगर


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