वैद्य जी की अवैध दुकान से बचके बाबा!
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : आपको भले ही किसी बड़े हास्पिटल के चिकित्सक ने आपरेशन, प्लास्टर अथवा किसी अन्य उपचार की सलाह दी, मगर यहां दर्जनों वैद्य जी मिनटों में आपका दुख हरने का दावा करते हैं। इतना ही नहीं यदि आप दुनियां भर के चिकित्सकों से निराश हो गए हों, तो भी उनका कहना है कुछ ही दिनों में वह आपको भला चंगा कर देंगे।
यह जादू की छड़ी कहीं और नहीं बल्कि अपने जनपद में कई जगहों पर चल रही है। नियम कानून के कोई मायने नहीं है। यह तो हर कदम पर प्रशासन को चुनौती देने वाले हैं। प्रशासन ने भले ही पंजीकृत आयुर्वेदिक दवा केन्द्र से ही बिक्री आदेश दिया हो, मगर यह बेधड़क स्वनिर्मित दवाएं बेचते हैं। यह स्थिति किसी विशेष हिस्से की नहीं बल्कि पूरे जनपद की है। सर्वाधिक वैद्य जनपद के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में हैं। इसके बाद शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र में इनकी भरमार है। दिलचस्प यह है कि जनपद के चिल्हिया चौराहे के पास कुछ चिकित्सक ऐसे हैं, जिनके परिजनों का इलाज एलोपैथ के चिकित्सक से होता है, मगर दूसरों को गुमराह करने में वह कोई कसर बाकी नहीं लगाते हैं। कई वैद्य ऐसे हैं, जो हल्लौर व कुल्हई क्षेत्र में अपनी क्लीनिक चलाते हैं, मगर इनकी जांच करने के बजाय उल्टे स्वास्थ्य विभाग बचाने में जुटा रहता है कि यह उसका काम नहीं है। आयुर्वेद से जुड़े एक चिकित्सक ने बताया कि इनकी जांच न होना जनता के लिए घातक है। इनकी शिक्षा सेंट्रल काउंसिल इंडियन मेडिसिन के तहत होती है। पंजीयन के लिए जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय में आवेदन पत्र जमा करना होता है और एलाटमेंट ही वैद्य अथवा आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रैक्टिस कर सकता है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. वी.के. गुप्ता का कहना है कि वैद्य के डिग्री अथवा उनके दवा का कारोबार जिला आयुर्वेद विभाग के अधीन आता है। इसमें क्या नियमावली है, यह जिला आयुर्वेद अधिकारी ही बता सकते हैं।
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''जिले में फिलहाल पंजीयन की संख्या शून्य है। अवैध तरीके से संचालित वैद्य की दुकान के बारे में कोई शिकायत मिली तो निश्चित तौर से कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल जल्द ही पूरे जिले में जांच अभियान के तहत अभिलेखों की छानबीन की जाएगी। जांच में दोषी पाये जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।''
डा. के.पी. चौधरी
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, सिद्धार्थनगर