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डीपीआरओ कक्ष बना राजनीतिक अखाड़ा

By Edited By: Published: Thu, 17 Jul 2014 09:23 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jul 2014 09:23 PM (IST)
डीपीआरओ कक्ष बना राजनीतिक अखाड़ा

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर

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सफाई कर्मी एवं सेक्रेटरी की मनचाही तैनाती को लेकर इन दिनों डीपीआरओ कक्ष राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। बुधवार को डीपीआरओ की बुलाई गयी प्रधान संघ की बैठक को लेकर उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब सपा जिला सचिव को कुछ देर के लिए इंतजार करने को कहा गया। इस पर एतराज जताते हुए तौलेश्वर ने कहा कि बैठक में वे लोग भी शामिल थे, जो प्रधान नहीं है। ऐसे में उन्हें इंतजार कराना अनुचित था।

जिला पंचायत राज अधिकारी भास्कर दत्त पाण्डेय ने जेई प्रभावित गांवों में साफ सफाई को लेकर बैठक बुलाई थी। बैठक में मौजूद प्रधान संघ के पदाधिकारियों एवं प्रधानों से उन्होंने कहा कि जेई प्रभावित जिन गांवों में सफाई कर्मी कम हैं और समुचित सफाई नहीं हो पा रही है, वहां बाहरी मजदूर रखकर सफाई करायी जाए। इसका भुगतान राज्य वित्त आयोग के पैसे से हो सकता है। तय हुआ कि 18 से 23 जुलाई तक सभी ब्लाकों पर प्रधानों की बैठक होगी और उसके बाद 28 जुलाई तक विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा। अभी वार्ता चल ही रही थी कि खुनियाव के ब्लाक प्रमुख पति और सपा के जिला सचिव तौलेश्वर निषाद एक मामले को लेकर डीपीआरओ कक्ष में पहुंच गए। डीपीआरओ ने उन्हें कुछ देर बाहर इंतजार करने के लिए कहा। यह बात उन्हें नागवार गुजरी। हालांकि वह बगल के डीपीओ कक्ष में करीब आधे घंटा बैठ गए। बैठक के बाद तौलेश्वर ने डीपीआरओ के सामने सवालों की झड़ी लगा दी। कहा कि बैठक में कुछ ऐसे भी लोग थे जो प्रधान नहीं हैं। फिर उन्हें क्यों बैठाया गया था। इस पर डीपीआरओ ने सफाई देते हुए कहा कि प्रधान संघ की बैठक थी, अब कोई पदाधिकारी प्रधान नहीं है तो इसमें उनका क्या दोष है? तौलेश्वर ने डीपीआरओ के सामने सवाल उठाया कि पंचायत धोबहा के सफाई कर्मी को क्यों हटा दिया गया? यदि हटाया गया तो उसकी जगह पर दूसरे की तैनाती क्यों नहीं हुई? खुनियाव ब्लाक में तीन सेक्रेटरी रवि, हरिशंकर व जय प्रकाश राय को छप्पन गांव दे दिये गए हैं। यह कहां का न्याय है, जबकि गणेश नारायण तिवारी के पास सिर्फ एक गांव रतनपुर है। ब्लाक स्तर से समान रूप में गांव आवंटन करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, इसे हर हाल में लागू किया जाए। इस पर डीपीआरओ ने कहा कि यह काम बहुत जल्द होने वाला है। डीएम और सीडीओ साहब ने इसके लिए निर्देश भी दिया है। अब ग्राम विकास अधिकारी एवं ग्राम पंचायत अधिकारियों के गांवों का बंटवारा नियमानुसार ही होगा।

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नहीं चलेगी पाएगी मनमानी

सिद्धार्थनगर। अब गांवों में कतिपय प्रधानों की मनचाहे अनुरूप सेक्रेटरी की तैनाती नहीं होने पाएगी। प्रधान यदि किसी के लिए पैरवी करेंगे तो उस सेक्रेटरी को भी चिन्हित किया जाएगा। ग्राम प्रधान संघ की बैठक के बाद डीपीआरओ भास्कर दत्त पाण्डेय ने यह जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी प्रधान के दबाव में उनके मनचाहा सेक्रेटरी की तैनाती नहीं होगी। पूरे जनपद में 999 गांवों के लिए 88 ग्राम पंचायत अधिकारी एवं 71 ग्राम विकास अधिकारी हैं। कुछ ऐसे हैं, जिनके खिलाफ जांच लंबित है। ज्यादा शिकायत मिलने वाले सेक्रेटरियों को उनके तैनाती स्थल से हटा दिया जाएगा। इसमें राजनीतिक दबाव से बचने का पूरा प्रयास होगा। कक्ष में विवाद के बावत पूछे जाने पर डीपीआरओ ने कहा कि बात मामूली थी, मैंने सपा जिला सचिव से कुछ समय के लिए अनुरोध किया था। उनकी मांग जायज है। इस पर विचार किया जा रहा है।


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