60 दिन बाद भी नहीं सुधरी बिजली आपूर्ति
श्रावस्ती: अगर आपको बिजली आपूर्ति व्यवस्था की बदहाली देखनी हो तो गिलौला ब्लॉक चले आइए। यहां जलने के
श्रावस्ती: अगर आपको बिजली आपूर्ति व्यवस्था की बदहाली देखनी हो तो गिलौला ब्लॉक चले आइए। यहां जलने के 60 दिन बाद ट्रांसफार्मर लगा भी तो महज पांच दिन में फिर फुंक गया, जिससे गिलौला के कई गांव पुन: अंधेरे में डूब गए हैं।
जिले के विकसित ब्लॉक के रूप में शुमार गिलौला में बिजली आपूर्ति की दशा बदहाल है। बौद्ध परिपथ पर पेट्रोल पंप के पास लगे ट्रांसफार्मर से लगभग दो हजार की आबादी को बिजली सुविधा सुलभ होती थी। दो माह पहले किसी वाहन ने ठोकर मार दी, जिससे छह पोल टूट कर गिर गए। काफी प्रयास के बाद पुन: ट्रांसफार्मर लगाया गया और खंभे खड़े कर बिजली आपूर्ति बहाल की गई, लेकिन दो दिन तक ही बिजली आई। इसी बीच ट्रांसफार्मर फिर जल गया। विभागीय अधिकारी इसके लिए ओवरलोडिंग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
गिलौला कस्बे में विक्रम भट्ठा के पास महीने भर से ट्रांसफार्मर खराब है। इस बारे में कई बार विद्युत उपकेंद्र के अवर अभियंता को अवगत कराया गया, लेकिन ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया। विद्युत उपकेंद्र के अवर अभियंता हीरालाल का कहना है कि ट्रांसफार्मर की कमी है। इसलिए तत्काल ट्रांसफार्मर बदलना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार का 45 घंटे के अंदर ट्रांसफार्मर बदलने का फरमान बेअसर हो रहा है। इस मामले में जनप्रतिनिधियों की चुप्पी चौंकाने वाली है।
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छलका उपभोक्ताओं का दर्द
-स्थानीय निवासी लल्ला गुप्त का कहना है कि गिलौला ब्लॉक में बिजली आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह बदहाल है। महज छह से आठ घंटे बिजली मिलती है। संतोष तिवारी का कहना है कि ट्रांसफार्मर खराब हो जाय या तार टूट जाय तो उसे ठीक होने में महीने भर लग जाते हैं। उनका कहना है कि सरकारी दावे केवल कागजी साबित हो रहे हैं। प्रेम कुमार ने कहा कि गर्मी के इस महीने में बिजली कटौती बढ़ गई है। ऐसे में दिन में काफी तकलीफ झेलनी पड़ती है। खास तौर से घरों में रहने वाली महिलाओं को। इदरीश अली ने बताया कि रमजान का महीना आ रहा है, लेकिन बिजली व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है।