सूखी माइनर कर रही 'भगीरथ' का इंतजार
श्रावस्ती : बेहतर खेती-किसानी के लिए सिंचाई के इंतजाम भी उच्च कोटि के होने चाहिए। नहरें इस दिशा में
श्रावस्ती : बेहतर खेती-किसानी के लिए सिंचाई के इंतजाम भी उच्च कोटि के होने चाहिए। नहरें इस दिशा में किसानों के लिए वरदान हैं, लेकिन गिलौला ब्लॉक में लगभग 14 किलोमीटर लंबी माइनर 24 साल से सूखी पड़ी है। इस माइनर में पानी आने के लिए किसानों को अब भी 'भगीरथ' का इंतजार है।
सरयू नहर खंड-पांच की ओर से हरिहरपुर व गुटुहुरू गांव के बीच से माइनर का निर्माण शुरू कराया गया। यह माइनर लेंगड़ीगूलर, गोपालुर, भगवानपुर, हड़िल्ला होते हुए तीर्थ क्षेत्र सीताद्वार को जोड़ते हुए राप्ती नदी में मिलती है। माइनर का निर्माण होने के बाद 24 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसमें अब तक पानी नहीं छोड़ा गया है। पानी न छोडे़ जाने से माइनर के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बीच-बीच में कई स्थानों पर मिट्टी पटकर माइनर समतल हो चुकी है। करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई गई लगभग 14 किलोमीटर लंबी माइनर निष्प्रयोज्य पड़ी है। माइनर में पानी मिले तो किसानों के दिन बदल जाएंगे। पानी मिलता तो खेती कही लागत कम होती और किसान लाभ में होता। औद्यानिक खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन माइनर में पानी लाने के लिए अब तक किसान स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अफसरों की चौखट पर कई बार दस्तक दे चुके हैं पर नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।
छलका किसानों का दर्द
कल्यानपुर के ग्राम प्रधान शेषराज यादव कहते हैं कि माइनर निर्माण में कई किसानों की जमीन निकली थी। लोगों ने सिंचाई के अच्छे इंतजाम की आस में खुशी-खुशी अपनी जमीन दे दी थी। खुशी की यह उम्मीद आज तक पूरी नहीं हुई। भगवानपुर के नंदकिशोर कहते हैं कि माइनर में पानी मिले तो किसानों के दिन बदल जाएंगे। इसी गांव के बालकृष्ण त्रिपाठी व धर्मपाल ने कहा कि जमीन गंवाने के अलावा किसानों को नहर से कुछ हासिल नहीं हुआ। बीच से माइनर निकलने के कारण कई किसानों की जमीन टुकड़ों में बंट गई। कल्यानपुर के रामसहाय, रामकुमार, बागवानी के आशीष तिवारी, जमईपुरवा के घनश्याम, अहिरनपुरवा के तीरथराम, मनसुखा के सहजराज आदि ने बताया कि माइनर निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। जांच होने पर इसका खुलासा हो सकता है। जानबूझकर इसमें पानी नहीं छोड़ा गया। इससे कई स्थानों पर माइनर अपना मूल स्वरूप खो चुकी है।