भाजपा ने पुराने कंधों पर जताया भरोसा
श्रावस्ती : विधानसभा के चुनावी समर में भाजपा ने अपना 'सेनापति' चुनने के मामले में पुराने कंधों पर भर
श्रावस्ती : विधानसभा के चुनावी समर में भाजपा ने अपना 'सेनापति' चुनने के मामले में पुराने कंधों पर भरोसा जताया है। जिले की दोनों सीटों पर अपर क्लास के उम्मीदवार उतार कर तराई में 'कमल' खिलाने की रणनीति बनाई है। इसे सपा व बसपा के जातिगत समीकरण की काट के साथ सर्वण मतदाताओं को लुभाने की कवायद माना जा रहा है।
जिला मुख्यालय को समेटने वाले भिनगा विधानसभा सीट पर राजपरिवार के 'युवराज' अलक्षेंद्रकांत सिंह 'कमल' खिलाने के लिए पहली बार मैदान में उतरेंगे, जबकि श्रावस्ती में पूर्व जिलाध्यक्ष रामफेरन पांडेय चुनावी वैतरणी पार करने के लिए 'भगवा पतवार' संभालेंगे। भिनगा से उम्मीदवार बनाए गए अलक्षेंद्रकांत यहां से छह बार विधायक रहे 'भिनगा राजा' चंद्रमणिकांत सिंह के पुत्र हैं। सियासत से संयास ले चुके 'राजा साहब' ने इन्हें राजनीतिक वारिश के रूप में जनता की अदालत में ले जाने का मन बनाया। इसके बाद भाजपा में छह माह पहले सक्रिय हुए अलक्षेंद्रकांत टिकट पाने में कामयाब रहे, जबकि अन्य दावेदार अर्से तक पार्टी का झंडा ढोने के बावजूद सियायत के 'अंतिम द्वार' तक पहुंचने में नाकाम रहे।
यही हाल भिनगा विधानसभा क्षेत्र का भी रहा। भाजपा ने पिछला चुनाव लड़कर तीसरे स्थान पर रहे पूर्व जिलाध्यक्ष रामफेरन पांडेय पर दांव लगाया। पांडेय की राजनीतिक अखाड़े में जमीनी पकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के दबदबे को चुनौती देते हुए इस बार भी इकौना ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर कब्जा बनाए रखा। उनकी पत्नी मिथलेश पांडेय ब्लॉक प्रमुख हैं। इसी का लाभ टिकट की दौड़ में भी रामफेरन को मिला और पिछले चुनाव में रनर रहे विनोद त्रिपाठी समेत कई दावेदारों को पछाड़कर टिकट पाने में कामयाब रहे। त्रिपाठी पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही भगवा दुर्ग में शामिल हुए थे। टिकट के एलान के साथ ही भाजपा की चुनौती असंतुष्टों को मनाकर एकजुट मुहिम छेड़ने की है।