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निर्माण में किया 'खेल', राज्यपाल ने दी 'एडवर्स इंट्री'

मुकेश कुमार, श्रावस्ती : सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन सुगम बनाने के लिए पहाड़ी नालों पर प

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 12:28 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 12:28 AM (IST)
निर्माण में किया 'खेल', राज्यपाल ने दी 'एडवर्स इंट्री'
निर्माण में किया 'खेल', राज्यपाल ने दी 'एडवर्स इंट्री'

मुकेश कुमार, श्रावस्ती : सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन सुगम बनाने के लिए पहाड़ी नालों पर पुल निर्माण में आरइएस के अधिशासी अभियंता ने जमकर 'खेल' किया। जांच में एक करोड़ सात लाख रुपये शासकीय क्षति की पुष्टि होने के बाद महामहिम राज्यपाल राम नाईक ने उनकी सत्यनिष्ठा को संदिग्ध करार देते हुए 'एडवर्स इंट्री' दे दी है।

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प्रकरण बार्डर एरिया डवलपमेंट प्रोग्राम के तहत नेपाल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित भैसाही व ककरदरी नाले पर चार साल पहले पुल बनवाने से जुड़ा है। पुल के निर्माण में आरइएस के अधिशाषी अभियंता ने जमकर खेल किया। 17 अक्टूबर 2012 को गुलरा से पड़वलिया जाने वाले मार्ग पर पड़ने वाले भैसाही नाले पर पुल निर्माण के लिए स्वीकृति मिली थी। इसके लिए 93.07 लाख रुपये मंजूर किए गए। निर्माण की जिम्मेदारी ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को सौंपी गई। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी संभाल रहे तत्कालीन अधिशाषी अभियंता श्रावस्ती प्रखंड वीके दूबे ने निर्माण कार्य के लिए मृदा परीक्षण, स्ट्रक्चर डिजाइन तैयार करने को ताक पर रख दिया और घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर पुल निर्माण करा दिया। मामले की शिकायत हुई तो जिलाधिकारी ने विशेषज्ञों की टीम गठित कर जांच कराई। जांच में पाया गया कि पुल के तीसरे पेयर के अगले भाग पर ब्लीजिंग/उभार आ गया। ईटों के रद्दों में दरार पाई गई। पुल तिरछा हो गया, जिससे उस पर आवागमन बंद हो गया। यही हाल ककरदरी के पास स्थित पहाड़ी नाले शिवपुरा में बनने वाली पुलिया का भी रहा। घटिया निर्माण के चलते पुल की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई। पिलर नंबर तीन टूट गया। इससे बाढ़ के दौरान पुलिया बह गई। जांच में इस पुलिया के निर्माण पर 18 लाख 78 हजार 901 रुपये की शासकीय क्षति पाई गई। मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा तो 23 अप्रैल 2015 को विभागीय जांच दे दिए गए। अपने रसूख के बल पर अधिशाषी अभियंता जांच को लंबे समय तक लटकाए रहे। आखिरकार 28 जुलाई 2016 को जांच अधिकारी मुख्य अभियंता पश्चिम क्षेत्र ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसमें दूबे को कदाचार का दोषी पाया गया। महामहिम राज्यपाल ने 12 जनवरी 2017 को दूबे की 'सत्य निष्ठा' संदिग्ध करार देते हुए 'परिनिंदा' दी है। राज्यपाल का यह आदेश(संख्या-19/2017/69/92-2-17-104 जांच/2013) उनके प्रमुख सचिव सुरेश चंद्रा की ओर से जारी किया गया है।


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