आत्महत्या को उकसाने में सात वर्ष की कैद
श्रावस्ती: बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय तृतीय ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने क्रूर
श्रावस्ती: बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय तृतीय ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने क्रूरता व साक्ष्य मिटाने के मामले में साले-बहनोई को दोष सिद्ध ठहराया है। दोनों अभियुक्तों को सात-सात वर्ष के कारावास व सात-सात हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
सुग्रीव प्रसाद निवासी कलकलवा थाना मल्हीपुर की बहन कलावती देवी की शादी थाना कोतवाली भिनगा के ग्राम गौड़रा निवासी लच्छीराम पुत्र केशवराम के साथ वर्ष 2007 में हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद से ही लच्छीराम व उनके बहनोई मंगली निवासी लक्ष्मननगर थाना सोनवा ने मिलकर कलावती पर चारित्रिक आरोप लगाने के साथ दहेज की मांग करते हुए उसका उत्पीड़न करते थे। इससे तंग आकर कलावती ने 22 मार्च 2010 को रस्सी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के बाद लच्छीराम व उसके बहनोई मंगली ने मिलकर कलावती के मायके में बिना सूचना दिए ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया। विवेचना के बाद पुलिस ने दहेज उत्पीड़न व आत्महत्या के लिए उकसाने सहित अन्य अपराधों में लच्छीराम व मंगली के विरुद्ध न्यायालय पर आरोप पत्र दाखिल किया। मुकदमे का विचारण फास्ट ट्रेक कोर्ट पर हुआ। सत्र परीक्षण के दौरान दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय चंद्रभान तृतीय ने अभियुक्त लच्छीराम व मंगली को दोष सिद्ध ठहराया। न्यायालय ने दोनों को सात-सात वर्ष के कारावास व सात-सात हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया।