स्वाइन फ्लू फैला रहा फन, शामली में इलाज नहीं
शामली: वेस्ट यूपी के कई जिलों में स्वाइन फ्लू पांव पसार रहा है। इसके चलते शामली जिले में भी
शामली: वेस्ट यूपी के कई जिलों में स्वाइन फ्लू पांव पसार रहा है। इसके चलते शामली जिले में भी इसे लेकर दहशत बनी है। सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू का इलाज तो क्या जांच के भी इंतजाम नहीं है। हालांकि अस्पताल में इसके लिए अलग से वार्ड बनाया गया है, पर इसे क्या होगा जब इस रोग की रोकथाम के लिए अस्पताल में जांच या दवा उपलब्ध ही नहीं है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर कोई केस सामने आता है तो उसे मेरठ मेडिकल रेफर किया जाएगा।
पिछले कुछ दिनों से स्वाइन फ्लू का फन मेरठ जोन के कई जिलों में पांव पसार रहा है। स्वाइन फ्लू को लेकर लोगों में दहशत है। समस्या यह है कि अगर किसी को स्वाइन फ्लू हो जाए तो उसकी यहां जांच ही नहीं हो पाएगी। पता ही नहीं चल पाएगा कि मरीज को स्वाइन फ्लू हुआ है या नहीं? कुछ दिन टालमटोल या सटीक दवा नहीं दी गई तो समझ लिजीए उस मरीज का बचना मुश्किल है। शामली के जिला अस्पताल में इसका इलाज यहां संभव नहीं है। यहां पर इस रोग की जांच की सुविधा किसी सरकारी अस्पताल में नहीं है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि स्वाइन फ्लू को लेकर उन्होंने तैयारी कर रखी है। अस्पताल में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग से स्पेशल वार्ड बनाया गया है। इसमें मरीज के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध है। मरीज को रेफर करने तक उसकी रोकथाम के लिए यहां पर टैमीफ्लू की दवा उपलब्ध है। जांच व उपचार के लिए मरीज को यहां से मेरठ मेडिकल रेफर किया जाएगा। वहीं पर जांच व उपचार होगा। चिकित्सकों का कहना है कि जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में अभी तक स्वाइन फ्लू का केस सामने नहीं आया है।
पिछले महीने थानाभवन क्षेत्र के एक युवक को स्वाइन फ्लू होना सामने आया था, जिसकी दिल्ली अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इस युवक की मौत के बारे में सरकारी अस्पताल में कोई रिकार्ड नहीं है। सवाल है कि केवल वार्ड बना देने से क्या होगा? जब मुकम्मल इंतजाम ही नहीं है।
क्या है स्वाइन फ्लू
यह एक नए प्रकार के वायरस द्वारा फैलने वाला संक्रामक रोग है। इसका वायरस खतरनाक होता है। इसका वायरस सबसे पहले 2009 में पहचाना गया था। आमतौर पर इस वायरस का वाहक सुअर होने के कारण इसे स्वाइन फ्लू कहा जाता है। पहले यह वायरस न तो जानवरों के लिए घातक था और न ही मनुष्यों के लिए। समय के साथ इसके वायरस में बदलाव आया और यह जानवर व मनुष्य दोनों के लिए घातक साबित हो गया। समय पर उपचार न मिलने से यह जानलेवा साबित होता है।
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स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण वैसे तो आम सर्दी जुकाम जैसे ही होते है, लेकिन लापरवाही पर इसके लक्षण गंभीर हो जाते हैं। मरीज को सिरदर्द, खांसी, बुखार, गले में खराश, गले में कुछ अटका महसूस होना, नाक से पानी बहना या नाक जाम हो जाना, कमजोरी या थकान, बदन दर्द, मांस पेशियों में ¨खचाव, भूख न लगना, उल्टी, ठंड लगना आदि स्वाइन फ्लू के लक्षण है।
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स्वाइन फ्लू का फैलाव
स्वाइन फ्लू बेहद संक्रामक रोग है। एक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बहुत जल्द फैलता है। स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो उसकी नाक व मुंह से निकली छोटी बूंदों के साथ वायरस भी बाहर आ जाते हैं और हवा व कठोर सतह में 24 घंटे तक रह जाते हैं। हवा में रहने वाली छोटी बूंदें किसी भी व्यक्ति को सांस के साथ अंदर जाकर संक्रमित कर सकती है।
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क्या करें-
- भीड़ से बचें।
- बार-बार हाथ धोने की आदत डाले।
- बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत सरकारी अस्पताल में संपर्क करें।
- एक दूसरे के मुंह की तरफ छींकने, खांसने से बचे, नाक मुंह पर कपड़ा या टीशु पेपर रखकर छींकने एवं खांसने की आदत डालें।
- कपड़े को डिटरजेंट से धोए। दूसरे कपड़ों से अलग रखें तथा धूप में सुखाएं।
- फ्लू होने की स्थिति में घर पर आराम करें।
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क्या न करें
- जहां तक संभव हो भीड़-भाड़ वाले स्थानों मॉल्स, सिनेमाघर, पार्क, रेलवे स्टेशन, मेले, पार्टी, होटल, अस्पताल आदि में न जाए।
- अनावश्यक यात्रा न करें।
- किसी पॉजिटिव रोगी के संपर्क में आने से बचे।
- किसी भी व्यक्ति जिसे जुकाम खांसी, बुखार हो बिना मास्क या रूमाल के उसके करीब न जाए।
- डाक्टर की सलाह के बिना टैमीफ्लू दवा न खाए वरना रजिस्ट्रेन्स पैदा हो सकता है।
- यदि बच्चे में खांसी जुकाम हो तो बच्चे को सात दिन स्कूल न भेजे।
इनका कहना है-
स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए टैमीफ्लू की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसके मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है। जिस मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण नजर आते हैं, उन्हें जांच व उपचार के लिए मेरठ मेडिकल रेफर कर दिया जाता है।
- डा. राजकुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी शामली।