करने-दो, करने-दो मुझे इस भारत का नवनिर्माण
शामली : समकालीन साहित्यिक संस्था चेतना के तत्वावधान में नगर पालिका परिषद शामली के सभागार में एक काव
शामली : समकालीन साहित्यिक संस्था चेतना के तत्वावधान में नगर पालिका परिषद शामली के सभागार में एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता उस्ताद शायर विनोद अश्क ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर मुख्य अतिथि संदीप सजर ने किया। सर्व प्रथम रेखा वर्मा ने मां सरस्वती की वंदना की।
हास्य के स्थापित हस्ताक्षर अनिल पोपट ने कुछ यूं गुदगुदाया, नेता जी बोले यूं झंडों को गाड़ के, किसने पिया मां का दूध जो हमको पछाड़ दे, राजनीति में पलक झपकते ही पलटता है पासा, चमचे ही ले गए झंडे उखाड़ के। नगर के हर मंच को शोभायमान कर चार चांद लगाने वाले लाडले रचनाकर डॉ. अनुराग शर्मा ने गोमाता की पुकार रचना सुनाकर भाव-विभोर कर दिया।
कृष्ण के इस देश में यह कैसा अत्याचार, माता कर तुम मुझे बुलाते कटती बीच बाजार। कदम चले जब संग कसाई रूह कांपती मेरी, द्वार-द्वार पर आंसू आंख से गिरते, करती करुण पुकार। हास्य एवं गीत के युवा कवि सुनील टम्मी ने हास्य का वातावरण बनाकर सदन को तालियों से गुंजायमान कराकर वाहवाही लूटी।
उन्होंने कहा कि दस साल से जब मैंने करवा चौथ का व्रत नहीं रखा, ऊपर वाले ने तुझे क्यूं स्वस्थ्य रखा। अब मेरी सुनो सच-सच बताओ, जिस चुड़ैल ने रखा उसका नाम बताओ। नगर के नाम की पताका दूर-दूर तक फहरा कर नगर का नाम रोशन करने वाली युवा कवियत्री कुमारी रेखा ने अपनी रचनाओं से सदन में खूब-वाहवाही लूटी।
उन्होंने सुनाया कि भेड़ जब बुलबुल बनकर सजने लगती हैं, दुर्योधन के संवादों पर जब-जब तालियां बजती हैं। दूध पिलाने पर भी जब कोई नागिन डसती है तो संविधान की चर्चा बेमानी लगती है। इस दौरान वीर रस के यशस्वी कवि पीतम ¨सह पीतम ने सुनाया कि पीतम ¨सह गुरुओं की इज्जत से होता है देश महान। करने दो-करने दो मुझको इस भारत का नवनिर्माण।
इस दौरान डॉ. मोहनलाल, अनिल रस्तोगी, कृष्ण गोपाल, रुचिर गोयल, संदीप कुमार, नीरज संगल, राकेश कौशिक, श्यामलाल, मनोज पुंडीर, सपन मित्तल, आदेश शर्मा, शैलेश मुनी, डॉ. राजेंद्र गोयल, डॉ. सुशील मित्तल, पवन कुमार आदि मौजूद रहे।