धुंध के शक्ल में तैर रहा दिवाली का प्रदूषण
शामली: शनिवार सुबह पूरा जिला धुंध की चादर ओढ़े रहा। कड़ाके की सर्दी जैसी धुंध नवंबर के पहले सप्ताह मे
शामली: शनिवार सुबह पूरा जिला धुंध की चादर ओढ़े रहा। कड़ाके की सर्दी जैसी धुंध नवंबर के पहले सप्ताह में ही देखकर लोग हैरत में है। धुंध के कारण वाहन रेंग-रेंगकर चलने को मजबूर रहे। कई स्थानों पर वाहन आपस में भिड़ भी गए। विशेषज्ञों की माने तो दीपावली पर पटाखों से हुए प्रदूषण का यह असर है। हर बार दीपावली के बाद ऐसा होता है, लेकिन इस बार प्रदूषण अधिक होने के कारण धुंध भी अधिक छा गई। विशेषज्ञों का कहना है कि धुंध के रूप में प्रदूषण के खतरनाक कण बरस रहे हैं, जो सेहत के लिए खतरा बन सकते है। इससे बचाव के लिए सतर्कता बरती जरूरी है।
शनिवार सुबह जिलेभर में धुंध छायी रही। लोग सोकर उठे तो घनी धुंध की चादर चारों तरफ तनी थी। नवंबर के पहले सप्ताह में ऐसा नजारा देखकर लोग हैरान थे। इस तरह की धुंध तो जनवरी माह के पहले-दूसरे सप्ताह में आती है। धुंध के चलते सड़कों पर वाहन लाइट जलाकर रेंग-रेंगकर चलने को मजबूर रहे। ¨झझाना क्षेत्र में कई वाहन आपस में भिड़ गए। विशेषज्ञों की माने तो यह मौसमी धुंध नहीं है बल्कि प्रदूषण के कण हैं। दीवाली में आतिशबाजी के दौरान उत्सर्जित गैस व निकले सूक्ष्म जहरीले कण वायुमंडल की निचली सतह पर तैर रहे हैं। ठंड में वायु दाब कम होता है इस कारण ये निचले सतह पर ठहरे हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह धुंध कुछ दिन तक और रह सकता है। ये सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। लिहाजा सावधानी बरतने की जरूरत है। सुबह में बाहर टहलने से बचना चाहिए।
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ज्यादा प्रदूषण के कारण ऐसा धुंध
मौसम व रसायन विज्ञानी बताते हैं कि यूं तो दीपावली के बाद अक्सर इस तरह का धुंध बनता है। दीपावली के दौरान उत्सर्जित गैस व कण ठंड के मौसम के कारण वायुदाब अधिक होने के कारण वायुमंडल के ऊपरी परत में जाकर घुलमिल नहीं पाते, बल्कि निचली परत में ही ठहरे रहते हैं। अमूमन पिछले वर्ष लोग इसे नोटिस नहीं कर पाए थे। इस वर्ष पिछले कई वर्षो की तुलना अधिक आतिशबाजी के कारण यह कोहरा व धुंध काफी घनी नजर आ रहा है।
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धुंध में छिपे हैं खतरनाक कण
धुंध की वजह प्रदूषण है। इसमें खतरनाक रासायनिक तत्व एवं यौगिक हैं, जो सांस के जरिये सेहत को खराब कर सकते हैं। खासतौर से सांस व हृदय के रोगी और उम्रदराज लोगों के लिए को इससे बचना चाहिए। घर से बाहर निकलना जरूरी हो तो मुंह पर कपड़ा बांधकर या मास्क लगाकर निकलें।
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फसलों पर नहीं पड़ेगा असर
जिला कृषि रक्षा अधिकारी आनंद कुमार त्रिपाठी का कहना है कि प्रदूषण जनित इस धुंध का फसलों पर कोई असर नहीं होगा। इसका कारण है कि इस समय रबी की फसल की बुआई चल रही है। अगर रबी की फसल बड़ी होती तो इसका प्रतिकूल असर हो सकता था। फिलहाल इसका कोई असर नहीं है।
इन्होंने कहा..
धुंध नहीं ये प्रदूषण के कण हैं। ये हर उम्र के लोगों के लिए खतरनाक हैं। खासतौर से श्वास रोगी व उम्रदराज रोगी विशेष रूप से सर्तक रहें। ऐसे मौसम में कम से कम घर से बाहर निकले और जब निकले तो मुंह पर कपड़ा बांधकर रखे।
-डा. जगमोहन, चिकित्सा प्रभारी, सीएचसी शामली।