शब्द शक्ति से मजबूत की कौमी एकता
शाहजहांपुर : सप्तनदियों की गोद में बसा शाहजहांपुर गंगा-जमुनी तहजीब और कौमी एकता की पहचान है। भारतमाता को आजाद कराने के लिए 19वीं सदी में काकोरी कांड के नायक अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां ने कौमी एकता की जो पौध रोपी थी, उसे सींचनें और संवारने का काम यहां के कालजयी कवियों ने किया। स्व. दादा राजबहादुर विकल ने अपनी रचना ..पांव के बल मत चलो अपमान होगा, सिर शहीदों के यहां बोए गए हैं, से राष्ट्रीय फलक पर जनपद का महत्व दर्शाया। वर्तमान में डा. इंदु अजनवी, अपनी लेखनी से कौमी एकता को समृद्ध कर, भावी पीढ़ी में राष्ट्रप्रेम जगा रहे हैं। उनकी एक रचना तो स्कूलों की प्रार्थना सभा का हिस्सा बन चुकी है। फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन द्वारा विमोचित काव्य कृति 'शत शत नमन काकोरी' को कई नाटकों में स्थान मिल चुका है।
तहसील सदर के राजस्व कर्मी डा. इंदु अजनवी ने राष्ट्रप्रेम, कौमी एकता व अन्य सामाजिक विसंगतियों पर सार्थक व सटीक अभिव्यक्ति से मौनता को स्वर देने का प्रणम्य कार्य किया है। उन्होंने जो लिखा वह जन-जन पे गाया व अपनाया
'यह मंदिर तो हिंदू का है
यह मस्जिद मुस्लमान की है।
ये तेरी मेरी बाद में है।
पहले ये हिंदुस्तान की है।
अब किसी धरोहर को अपनी,
नीलामी नहीं होने देंगे।
सोंधी मिटटी में नफरत के हम,
बीज नहीं बोने देंगे।'रचना राष्ट्रीय पर्वो की पहचान बन चुकी है।
अजनबी ने क्रांति धरा की खुशबू को समेटे शाहजहांपुर गौरव गीत
'अमर शहीदों की धरती यह हम सबका अभिमान है। यहां का कण-कण गीता, बाइबिल गुरुग्रंथ कुरान है.।'
कई स्कूलों की प्रार्थना सभा का हिस्सा बन चुकी है। छात्र-छात्रायें इस गीत को गाकर गर्व और गौरव की अनुभूति कराते है। डा. अजनवी नाटय निर्देशन व मंच मंच के माध्यम से भी समाज को जागृत करने का काम कर रहे हैं। आम जन की वेदना को निरंतर रेखांकित कर प्रभावी स्वर देने के साथ ही इंदु भूषण पांडेय उर्फ इंदु अजनबी संकल्प संस्था के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहरों को भी सहेजने का काम कर रहे हैं। रक्तदान सरीखे आयोजनों से पीड़ित मानवता की सेवा को भी उन्होंने अपने सरोकारों में स्थान दिया है।