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भूकंप के दहशत में बीता पूरा दिन

शाहजहांपुर : रविवार को छुट्टी होने के चलते लोग घरेलू कामकाज निबटाने में जुटे थे कि दोपहर 12.50 बजे भ

By Edited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 11:19 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 11:19 PM (IST)
भूकंप के दहशत में बीता पूरा दिन

शाहजहांपुर : रविवार को छुट्टी होने के चलते लोग घरेलू कामकाज निबटाने में जुटे थे कि दोपहर 12.50 बजे भूकंप का झटका महसूस हुआ। कंपन की कम तीव्रता के चलते बहुतेरे लोग इससे अनजान रहे लेकिन जिसने भी झटका महसूस किया वह घबरा गया। दोबारा भूकंप के झटके की खबर फैलते ही शहर से लेकर गावों तक में लोगों ने पास-पड़ोस में खाली पड़े मैदानों में जा पहुंचे। रविवार छुट्टी का मजा किरकिरा हुआ तो देर रात अलर्ट लोग झटके को महसूस करने की कोशिश करते रहे।

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सरायकाइंया के शैलेश गुप्ता ने 12.50 बजे घर में अकेले बेड पर लेटे पड़े थे। बच्चे किसी कार्यवश बाजार गए थे, नतीजन एकाग्र होने से उन्हें बेड हिलने का आभास हो गया। कंपन को फिर से महसूस करने के बजाय शैलेश पलक झपकते मकान के बाहर जा पहुंचे। उनके तेजी से मकान से बाहर निकलते दूसरे लोगों को भी अपने घर में ग्लास गिरने, पंखा हिलने का मतलब समझ में आ गया था। उसके बाद तो कुछ पलों में ही समूचा जिला अपने-पास पड़ोस के मैदानी क्षेत्र में जा पहुंचा। रविवार की छुट्टी होने से बाजार में तो ज्यादा अफरातफरी देखने को नहीं मिली लेकिन मुहल्ले, कॉलोनियों में भूकंप के झटके ने लोगों के छुट्टी का मजा किरकिरा कर दिया।

शीशे के बर्तन में पानी रख बैठे रहे लोग

कहावत है दूध का जला छाछ भी फूंक कर पीता है। रविवार को लोग धरती की कम्पन पहचानने को कांच के ग्लास में पानी रख उस पर नजरें गड़ाये रहे। हालांकि शाम रात होने तक फिर से धरती तो नहीं हिली लेकिन लोग हवा से भी किसी सामान के हिलने पर कांप उठते थे।

चर्चओं में बीत गया दिन

रविवार को मौज मस्ती करने का दिन भूकंप के चर्चा में बीत गया। परेशान लोग दूसरे दिन धरती हिलने की घटना से बेहद सदमे में नजर आये। बच्चों को बताया बेटा कुछ हिले तो सतर्क हो जाना। दो दिनों के भूकंप ने बड़ों के साथ बच्चों को भी सदमे में डाल दिया था। दोपहर में फिल्ड में जा पहुंचे बहुतेरे लोग देरशाम घरों को डरते-डरते वापस हुए।

इनसेट ..

जिला अस्पातल : दिनभर बाहर बैठे रहे इनडोर के मरीज

शाहजहांपुर : जिला अस्पताल में इलाज कराने को भर्ती रोगी दवाएं लेने के बाद पूरे दिन अस्पताल के बाहर ही पड़े रहे। उन्होंने बताया कि बचे रहेंगे तो इलाज बाद में भी हो जाएगी। दो दिन भूकंप आ गया तो कौन जाने आगे भी झटके लगते रहे। कई तीमारदारों ने अपने रोगियों को रात में अस्पताल से बाहर ही सोने की व्यवस्था करने में जुटे थे। बहुतेरों ने जिला अस्पताल से छुट्टी ही करा ली। हालांकि जिला अस्पताल प्रशासन के लोग भूकंप के आने का कोई पूर्वानुमान न होने की बात कहते हुए मरीजों को अस्पताल में बने रहने को समझाने में जुटे रहे।


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