Move to Jagran APP

ऑनलाइन हुए थाने, टेस्टिंग शुरू

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : गुरुवार को खत्म हो गया एक दशक का इंतजार। फरियादियों के केस कंप्यूटर पर

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 12:54 AM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 12:54 AM (IST)
ऑनलाइन हुए थाने, टेस्टिंग शुरू

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : गुरुवार को खत्म हो गया एक दशक का इंतजार। फरियादियों के केस कंप्यूटर पर दर्ज किए जा सकेंगे। थानों को आनलाइन कर प्राथमिकी दर्ज करने की टेस्टिंग शुरू कर दी गई। पुवायां में पहली टेस्ट कॉपी निकाली गई। कंप्यूटर से केस दर्ज करने में पहले दिन मुंशी, दिवान को पसीने छूट गए।

loksabha election banner

यह है ऑनलाइन थाना

आनलाइन होते ही थाने उत्तर प्रदेश पुलिस की वेबसाइट से जुड़ जाएंगे। जीडी की गोपनीयता थानेदार, मुंशी के बजाय एक-एक अफसर की कंप्यूटर पर खुली किताब की तरह होगा। पल-पल की जानकारी कंप्यूटर माउस की एक क्लिक पर उपलब्ध रहेगी।

चार थानों में टेस्टिंग सफल

जिले में सिटी एवं ग्रामीण सर्किल के दो-दो थानों में टेस्टिंग कामयाब रही है। नतीजतन सदर-बाजार, कोतवाली, पुवायां, जलालाबाद में पब्लिक को लाभ मिलना करीब-करीब शुरू हो गया। शेष थानों के आनलाइन होने मे बमुश्किल एक सप्ताह लगेंगे। ऑनलाइन होने तक सभी थानों में एफआइआर चिक कंप्यूटर पर ही कटेगी।

पब्लिक को होगा लाभ

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पीड़ित को उसकी फ्रेश कॉपी मिल सकेगी। मैनुअल सिस्टम में मुंशी पीड़ित को घिसी-पिटी कॉपी उपलब्ध कराते थे। साफ कॉपी की डिमांड करने पर नसीहत मिलती थी। जोर आजमाइश करने पर एफआइआर रजिस्टर को फोटो स्टेट कराने के लिए बाहर भेजने के लिए जेबें ढीली करनी पड़ती थी।

पुलिस विभाग को फायदा

थानों के ऑनलाइन होने पर विभिन्न तरह के रजिस्टर, बदमाशों की अपराध सूची समेत कई तरह के रजिस्टर बीते दिनों की बात हो जाएंगे। कागजों का प्रयोग बहुत हद तक सिमट जाएगा। जबकि स्टेशनरी पर ही सरकार के लाखों रुपये खर्च होते हैं।

घर बैठे दर्ज होंगे केस

थानों के ऑनलाइन होने के बाद आगे की प्रक्रिया घर बैठे केस दर्ज कराने की होगी। हालांकि पुलिस अधिकारी इस बारे में कुछ बयान देने को तैयार नहीं है। पुलिस सूत्र घर बैठे केस दर्ज करने की सुविधा जल्द मिलने की बात प्लानिंग में होने की बात कहते हैं।

दुश्वारियां भी साथ-साथ

पुलिस कप्तान के सख्त फरमान से गुरुवार को थानों में कंप्यूटर युग का श्रीगणेश हो गया। लेकिन रणनीति के शत-प्रतिशत जमीन पर उतरने में वक्त लग सकता है। सूत्रों के मुताबिक 22 थानों में चार कंप्यूटर पहुंच गए हैं। उसके बावजूद काम तो महज एक ही कंप्यूटर से हो पा रहा है। इसके पीछे फर्नीचर का न पहुंचना अहम वजह बताया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक थानों के आनलाइन होने में अलग-अलग कामों के लिए चार कंप्यूटर की दरकार होती है।

महिला थाने में रहेगी पुरानी प्रथा

जिले आनलाइन की सुविधा महज 22 थानों को ही मिल पाएगी। महिला थाने में पुरानी प्रथा कायम रहेगी। दरअसल योजना के अस्तित्व में आने के समय महिला थाना खोलना एक रणनीति का हिस्सा था। संभव है इसके लिए अधिकारियों को अलग से प्रस्ताव करन व्यवस्था को अपडेट करनी पड़े।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.