चालक मंगल पर भारी पड़ा 'मंगल'
तिलहर (शाहजहांपुर): मैजिक चालक मंगल के लिए मंगलवार अमंगलकारी साबित हुआ और वह सड़क दुर्घटना में मौत के
तिलहर (शाहजहांपुर): मैजिक चालक मंगल के लिए मंगलवार अमंगलकारी साबित हुआ और वह सड़क दुर्घटना में मौत के मुंह में समा गया।
कस्बान्तर्गत मुहल्ला नितगंजा निवासी नवाब की मौजमपुर पुलिस चौकी के सामने खराद की दुकान है। विगत माह उसने किराये पर चलाने के लिए टाटा मैजिक खरीदी थी। इस पर हिन्दूपट्टी निवासी मंगल वर्मा (45) पुत्र नानक चन्द्र जो कि पालिका सभासद विजय वर्मा का भाई है, उसे बतौर चालक रखा था, लेकिन सड़क हादसे में मंगल वर्मा की दुर्घटना के दौरान घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इससे उसके परिवार में कोहराम मच गया। मंगल वर्मा के पांच बच्चों में पवन, श्रवण, धु्रव कुमार, अर्पित व पुत्री पूजा हैं। बच्चों में अकेली पुत्री होने के कारण मंगल को अपनी पुत्री से विशेष लगाव था। आज सुबह जब मंगल वर्मा ड्यूटी पर जा रहा था, तो उसकी पुत्री ने अपने हाथों से खाना खिलाते हुए बड़े मनुहार के साथ कहा कि पापा शाम को जल्दी घर आ जाना, हम आपके साथ प्रसाद चढ़ाने मंदिर चलेंगे, लेकिन परिजनों को क्या पता कि मंगल का दिन मंगल के लिये अमंगलकारी साबित होगा और उसके पापा हमेशा हमेशा के लिये छोड़कर चले जायेंगे।
उधर डा. कमलेश ने सोचा भी न था कि जिस पत्नी को वह चन्द घंटों के लिये अपने से अलग कर रहे हैं, वह हमेशा-हमेशा के लिये अलविदा कहकर चली जाएगी। सुबह ग्राम हरनोखा के प्रधान कमलेश यादव ग्राम कपसेड़ा में रहते हैं। उनका गांव के बाहर हाइवे पर बालाजी मेडिकल स्टोर भी स्थित है। वह अपनी पत्नी संसारवती (45) को शाहजहांपुर दवा दिलाने मोटरसाइकिल से गए थे। चूंकि प्रधान कमलेश को ब्लाक ददरौल में सचिव से कुछ काम था, इसलिये उन्होंने दवा दिलाने के बाद शाहजहांपुर से तिलहर आ रही टाटा मैजिक पर अपनी पत्नी संसारवती को बैठा दिया। अभी टाटा मैजिक 7 किमी भी नहीं चली थी, तभी प्रधान ढाबे के समीप सामने से आ रहे सेना के एक ट्रक ने मैजिक में जबर्दस्त टक्कर मार दी, जिसमें ग्राम प्रधान की पत्नी संसारवती हमेशा-हमेशा के लिये उन्हें छोड़कर इस संसार से विदा हो गई।
कमलेश यादव को इस बात का अत्यधिक मलाल है कि यदि उन्होंने अपनी पत्नी की बात मान ली होती और मोटरसाइकिल से ही घर वापस आ गए होते, तो उनका भरा-पूरा परिवार न उजड़ता। संसारवती अपने पीछे विवाहिता पुत्री इमपमलता, पुत्र शिवेन्द्र व सुबोध को छोड़कर चली गई। शिवेंद्र को जब अपनी मां के दुर्घटना में मौत की खबर मिली तो वह बेसुध हो गया। उसे अब तक यह विश्वास नहीं हो रहा कि उसकी मां अब इस दुनिया में नही है।