.. जरा याद करो कुर्बानी
शाहजहांपुर : पुलिस स्मृति दिवस पर मंगलवार को शहीदों की याद में सैकड़ों आंखें नम हो गईं। एसपी समेत तमा
शाहजहांपुर : पुलिस स्मृति दिवस पर मंगलवार को शहीदों की याद में सैकड़ों आंखें नम हो गईं। एसपी समेत तमाम पुलिस अधिकारियों ने शहीद जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। शहीदों को श्रद्धांजलि देने पुलिसकर्मियों की भीड़ उमड़ी थी।
पुलिस लाइंस में शहीद स्मारक पर पुलिसकर्मियों की सुबह से भीड़ उमड़ने लगी थी। सुबह साढ़े आठ बजे एसपी राकेश चंद्र साहू शहीद स्मारक पहुंचे। वहां पारंपरिक वेश में पहले से मौजूद पुलिसकर्मियों ने सलामी दी। एसपी राकेश चंद्र साहू ने शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने जिले में शहीद हुए कांस्टेबल संजय यादव, शैलेश यादव, ओमशंकर समेत पांच पुलिसकर्मियों को याद किया। एसपी ने कहा कि कर्तव्य रक्षा में शहीद हुए पांच पुलिसकर्मी अमर शहीद हैं। एसपी के संबोधन के दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने के दौरान पुलिसकर्मियों की आंखे नम हो गई। एसपी ने कहा कि जिले में शहीद हुए पांचों जवानों की बेवा को उनके गृह जनपद में बुलाकर शहादत के लिए सम्मानित हुए होंगे। वर्ष 2014 में शाहजहांपुर का कोई जवान कहीं कर्तव्य सेवा के दौरान शहीद नहीं हुआ है। भारत वर्ष में एक सितंबर 2013 से 31 अगस्त 2014 तक की अवधि में 653 जवान तथा उत्तर प्रदेश में 126 जवान शहीद हुए हैं। शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में एसपी सिटी एपी सिंह, एसपी ग्रामीण आसाराम यादव, सीओ सिटी राजेश्वर सिंह, सीओ विजय शंकर मिश्र, सीओ तिलहर संजय कुमार, प्रतिसार निरीक्षक राजेंद्र सिंह, एलआईयू इंस्पेक्टर अभयराम यादव, पीआरओ राजीव मिश्रा, समेत बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी मौजूद रहे।
जिले में शहीद पुलिसकर्मी
1- नागरिक पुलिस 1278 कांस्टेबल संजय सिंह
2- नागरिक पुलिस 1057 कांस्टेबल शैलेश कुमार।
3- हेड कांस्टेबल रामनाथ दिनकर।
4- हेड कांस्टेबल कालीचरण।
5- नागरिक पुलिस 531 कांस्टेबल ओमशंकर।
आन-बान-शान में दस जवानों ने दी थी शहादत
- 55 वर्ष पुरानी है पुलिस स्मृति दिवस की कहानी
- चीनी सेना ने छल से 1959 में 10 रणबांकुरों को मारा था
शाहजहांपुर : पुलिस स्मृति दिवस की कहानी 55 वर्ष पुरानी है। वर्ष 1959 में 21 अक्टूबर को सीआरपीएफ के दस जवान चीनी सेना से लड़ते हुए शहीद हुए थे। उसके बाद से ही पुलिस स्मृति दिवस को भारत वर्ष में मनाया जाने लगा।
लद्दाख के जनहीन क्षेत्र (भारत की उत्तरी सीमा) में 15 हजार फिट से ऊंचे बर्फ से ढके पर्वतों, दर्रो के बीच जहां सामान्य नागरिक सुविधाओं के उपलब्ध होने की कल्पना नहीं की जा सकती है। वहां सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के 10 जवान गश्त पर थे। अचानक जवानों को शत्रुओं से घिरने की आहट मिली। शत्रु चीनी सैनिक थे जिन्होंने भारतीय क्षेत्र में भारतीय जवानों को पकड़ने के लिए एम्बुश लगाया था। चीनी सेना के स्वचालित हथियारों से लैश होने की जानकारी के बावजूद देश के रणबांकुरों ने साधारण शस्त्रों के सहारे लड़ते हुए शहीद हो गए। इस घटना की जानकारी होने पर समूचा देश स्तब्ध रह गया। उसके बाद से ही भारत वर्ष में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। शहीद जवानों के परिवारीजनों को सम्मान किए जाने लगे।