तबादले के बावजूद जमे सिपाही-दारोगा
शाहजहांपुर : जिले में कानून-व्यवस्था चाक चौबंद करने के लिए किए जा रहे तबादलों को पुलिसकर्मी नहीं मान रहे। खाकी में आदेशों की अनदेखी करने की बढ़ती परंपरा से कानून-व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके पीछे सत्ताधारी नेताओं की दखल भी अहम वजह बन रही है।
जिले में कानून-व्यवस्था की हालात हाल के दिनों में बनती-बिगड़ती रह रही है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एसपी सिपाही दरोगाओं को इधर-उधर स्थानांतरित करते रहते हैं। स्थानांतरण से बहुतेरे विवादों को समय से पूर्व रोका भी जा सका है। हाल के दिनों में सत्ताधारी नेताओं के दखल से खाकी में अनुशासन समाप्त हो चला है। स्थानांतरण सूची में नाम छपते ही सिपाही, दारोगा अपने आकाओं के पहुंच जा रहे हैं। नेताओं के दखल से रसूख वाले सिपाहियों को रिलीव करने में मुश्किल हो रही है। इसमे थानेदारों की भूमिका भी संदिग्ध बनी है। दरअसल थानेदार ही तबादले के बाद मातहतों को पैरवी करने के लिए रिलीव करने मे टाल-मटोल करते हैं। हाल के दिनों में हुए अधिकांश तबादलों में स्थानांतरण निरस्त करना, मनमाने जगह कराने जैसी कई बातें सामने आयीं। एक सप्ताह पूर्व तीन दरोगा समेत 19 पुलिसकर्मियों के तबादले में आधा दर्जन से ज्यादा सिपाहियों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। आदेशों की अनदेखी में पुवायां थाना सुर्खियों में है। इसी थाने का दारोगा उदयवीर एवं कांस्टेबल कप्तान सिंह का तबादला एसपी ने किया था। एसपी ने उदयवीर को अजीजगंज पुलिस चौकी की जिम्मेदारी सौंपी थी। संवेदनशील पुलिस चौकी होने के बावजूद दारोगा ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इसी थाने के कप्तान सिंह ने भी एसपी के आदेश को मानना जरूरी नहीं समझा। तबादला आदेशों की अनदेखी के दो उदाहरण तो महज पुवायां थाने के हैं। पड़ताल करें तो 60 फीसद ही पुलिसकर्मियों के कार्यभार ग्रहण करने की बात सामने आएगी।