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नए अवतार में नजर आएगा गन्ना

By Edited By: Published: Fri, 29 Aug 2014 02:13 AM (IST)Updated: Fri, 29 Aug 2014 02:13 AM (IST)
नए अवतार में नजर आएगा गन्ना

शाहजहांपुर : नदी किनारे लहलहाने वाली कांस और नरकुल से क्रास कराके तैयार किया गन्ना अब नए अवतार में नजर आएगा। सौ साल की लंबी यात्रा के बाद गन्ना मिठास के साथ ही भवन निर्माण, रोशनी और साजसज्जा की जरूरत भी पूरा करेगा। यानी गन्ना अब मात्र फसल ही नहीं बल्कि यह कई उद्योगों के लिए कच्चा माल, किसानों के लिए नई उम्मीद और देश के लिए विदेशी मुद्रा कमाने वाला 'दूत' साबित होगा। इसके लिए वैज्ञानिकों ने एतिहासिक व क्रांतिकारी शोध की तैयारी की है। यूपीसीएसआर के डायरेक्टर ने नए 'क्लोन' से गन्ना प्रजातियों के विकास के शोध को कोयम्बटूर सुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट से एग्रीमेंट साइन किया है। बीज संबर्धन व जैव शोध के लिए एनएसआइ, एनबीआरआई समेत दर्जन भर अन्य संस्थानों के साथ भी करार किया गया है।

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उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद सौ साल के भीतर देश को 208 गन्ना प्रजातियों का तोहफा दे चुका है। चीनी उद्योग के साथ ही अल्कोहल, एथनाल, गत्ता आदि उद्योगों में भी गन्ना सहायक है। चीनी उद्योग की बदहाली और गन्ना बकाया भुगतान के लिए जूझते किसानों की दयनीय स्थिति को देख वैज्ञानिकों ने गन्ने को नए अवतार में उतारा है। कांस की जगह गन्ने का एरियनथस (सेंठा) के साथ क्रास कराके 'इनर्जी केन' नाम से नए स्वरूप में गन्ना का जन्म हुआ है। जल्द ही यह गन्ना यूपी के खेतों की बंजर, बीहड़ भूमि के साथ ही खेतों में लहलहाता नजर आएगा। पर्यावरण सरंक्षण में मददगार इस गन्ने से 50 फीसद बगास और 25 प्रतिशत फाइबर बनेगा। रस अल्कोहल व एथनाल उद्योग को बढ़ाएगा। बगास से देश में करीब 9700 मेगावाट विद्युत उत्पादन संभव हो सकेगा। फाइवर से कागज व प्लाइवुड निर्माण का निर्माण होगा। इससे वृक्षों का संरक्षण आसान हो जाएगा। सामान्य गन्ने की अपेक्षा तीन गुना अधिक पैदावार होने की वजह से बिजली, प्लाई, कागज, एथनाल आदि उद्योगों को गति मिलेगा।

गन्ने में पैरेंटल बदलाव की तैयारी

यूपीसीएसआर ने गन्ने में पैरेंटल बदलाव के लिए नए 'क्लोन' से गन्ना की प्रजाति विकसित करने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए यूपीसीएसआर का कोयम्बटूर सुगर ब्रीडिंग इंस्टीटयूट के साथ

मैटेरियल ट्रांसफार्मर एग्रीमेंट हुआ है। समझौते के तहत कोयम्बटूर एसबीआइ में विकसित इंटर जेनेरिक एवं इंटर स्पेसिफिक हाइब्रिड क्लोन्स को यूपीसीएसआर को हस्तांतरित किया जाएगा। यूपी के शोध केंद्रों पर परीक्षण के बाद चुने गए क्लोन्स एसबीआई वापस भेज दिए जाएंगे। कोयम्बटूर में संकरण के तहत उच्च शर्करा एवं उच्च उत्पादकता वाली प्रजातियों का विकास किया जा सकेगा।

कृषि विवि समेत कई संस्थानों का प्रेरणा स्रोत बना यूपीसीएसआर

यूपीसीएसआर ने दर्जन भर शोध संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया। परिषद के निदेशक डा. बख्शीराम ने सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एंव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ तथा मोदीपुर स्थित प्रोजेक्ट डायरेक्ट्रेट ऑफ फार्मिग सिस्टम रिसर्च (पीडीएफएसआर) तथा कानपुर के नेशनल सुगर इंस्टीटयूट (एनएसआई) को अभिनजक गन्ना बीज उत्पादन के लिए प्रेरित कर इतिहास रचा। इन संस्थानों में यूपीसीएसआर के वैज्ञानिकों की देखरेख में गन्ना के अभिजनक बीज का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि अभी तक इन संस्थानों में गन्ना उत्पादन से दूर थी। सूक्ष्म जैव प्रौद्योगिकी से गन्ने में रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि के लिए लखनऊ स्थिति नेशनल बॉटिनिकल रिसर्च इंस्टीटयूट के साथ करार का आधार तैयार किया गया है। इसके तहत यूपीसीएसआर के वैज्ञानिक एनबीआरआइ की उच्च स्तरीय लैब में शोध करेंगे। इससे आने वाले परिणामों से दोनों संस्थानों को फायदा होगा।

दर्जन भर प्रजातियों पर शोध की तैयारी : डा. बख्शीराम

यूपीसीएसआर के डायरेक्टर डा. बख्शीराम का कहना है कि नई गन्ना प्रजातियों से शोध के साथ ही ऊसर भूमि और जल प्लावित क्षेत्र के लिए भी गन्ना प्रजातियां विकसित की जाएगी। गन्ने में रोग न लगे, इसके लिए जीन्स स्तर पर उपचार की तैयारी है। उन्होंने बताया कि 34 वैज्ञानिकों समेत 98 नई नियुक्तियों से परिषद में मैन पावर की कमी दूर होगी और शोध को बल मिलेगा।


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