नारद मोह प्रसंग सुन भाव-विभोर हुए श्रोता
संतकबीरनगर : भिटहा में सात दिवसीय कथा में छठवे दिन मंगलवार को नारद मोह प्रसंग हुआ। आचार्य प्रभु के
संतकबीरनगर : भिटहा में सात दिवसीय कथा में छठवे दिन मंगलवार को नारद मोह प्रसंग हुआ। आचार्य प्रभु के अवतार लेने में देव ऋषि नारद मोह के कारण श्रीहरि विष्णु के त्रेता युग में राम के रूप में जन्म लेने की कथा सुनाई। कथा में श्रीराम की बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन सुन श्रोता झूमते रहे। कथा व्यास संत ज्ञान द्विवेदी ने जन्मोत्सव प्रसंग से कथा को विस्तार देते हुए कहा कि कहा कि नारद जी को यह अभिमान हो गया कि उनसे बढ़कर इस पृथ्वी पर और कोई दूसरा विष्णु भगवान का भक्त नहीं है। उनका व्यवहार भी इस भावना से प्रेरित होकर कुछ बदलने लगा। वे भगवान के गुणों का गान करने के साथ-साथ अपने सेवा कार्यों का भी वर्णन करने लगे। भगवान से कोई बात छुपी थोड़े ही है। उन्हें तुरंत इसका पता चल गया। भला वे अपने भक्त का पतन कैसे देख सकते थे। इसलिए उन्होंने नारदजी को इस दुष्प्रवृत्ति से बचाने का निर्णय किया।
श्रीराम बचपन में बहुत सुंदर लीला करते थे। उन्होने बाल्यकाल में थोड़े ही समय में अपने गुरु से सभी शिक्षा प्राप्त की तथा मानव लीला का पूरी तरह पालन किया। इस मौके पर पं. गोमती प्रसाद चतुर्वेदी, पूर्व प्रमुख दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे, पूर्व प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, रत्नेश चतुर्वेदी, जर्नादन, संतोष कुमार, अखंड, अमरेंद्र, अनमोल सहित अनेक श्रोता मौजूद रहे।