Move to Jagran APP

34 दिन में सिर्फ खरीद सके 881 एमटी धान

संतकबीर नगर: पांच एजेंसियां और इनके 53 केंद्र। इनमें से करीब 25 केंद्र सक्रिय बाकी निष्क्रिय। सक्रिय

By Edited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 11:37 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 11:37 PM (IST)
34 दिन में सिर्फ खरीद सके 881 एमटी धान

संतकबीर नगर: पांच एजेंसियां और इनके 53 केंद्र। इनमें से करीब 25 केंद्र सक्रिय बाकी निष्क्रिय। सक्रिय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा। कई केंद्रों के प्रभारियों के पास जरूरत के अनुरूप पैसा नहीं। किसी भी केंद्र पर न तो छांव के लिए टेंट, न बैठने के लिए कुर्सी और पीने के लिए साफ पानी की सुविधा। अव्यवस्थित ढंग से एक नवंबर से खरीद शुरू हो चुकी है। 34 दिन में एजेंसियां सिर्फ 881 एमटी धान ही खरीद पाई हैं।

loksabha election banner

भारत सरकार से नामित और भारतीय खाद्य निगम(एफसीआइ)के अधीन इस बार किसानों से धान खरीदने के लिए फार्मर फार्चून इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक संस्था को लगाया गया है। इसके सभी 17 केंद्र तो सक्रिय नहीं हो पाए है लेकिन पचास फीसद केंद्रों के प्रभारियों ने किसानों से कुछ धान खरीद कर सरकारी कवायद की लाज बचा ली है। यदि यह संस्था न होती तो शायद खरीद की प्रगति और खराब होती। वह इसलिए कि यूपी एग्रो के तीन में से एक भी केंद्र एक छटाक धान नहीं खरीद सके हैं। एफसीआइ के एक केंद्र की खरीद की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। मार्के¨टग ने थोड़ी बहुत खरीद की है। समर्थन मूल्य योजना तो अच्छी है लेकिन पहले यूपीएसएस जैसे एजेंसियों के चलते किसानों का भुगतान फंस गया था। पहले धान, गेहूं बेचने वाले किसानों को समय से भुगतान नहीं हो पाता था। इसके कारण किसान इसके बजाय गल्ला कारोबारियों को अनाज बेचना उचित समझते हैं। इसमें पैसा फंसने का भय नहीं रहता। नमी व अन्य के बहाने कटौती की समस्या भी नहीं रहती। मांगने पर गल्ला कारोबारी एडवांस रकम भी दे-देते हैं। गांव से ही अनाज की बिक्री हो जाती है, केंद्रों पर किराया देकर अनाज बेचने का झंझट नहीं रहता। इन कारणों के चलते समर्थन मूल्य योजना अपेक्षा के अनुरूप सफल नहीं है। कुछ वर्षों से एजेंसियां लक्ष्य पूर्ति तक नहीं कर पा रही है। डिप्टी आरएमओ विपिन राय का कहना है कि सभी एजेंसियों के जिला प्रबंधक को अपने-अपने केंद्रों को सक्रिय रखने को कहा गया है। इनसे यह भी कहा जा रहा है कि वे अपने क्षेत्र के किसानों से संपर्क कर उनका धान खरीदें। ऐसा करने पर ही प्रगति में सुधार हो पाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.