जब फीस ही नहीं तो तनख्वाह कैसी
लोहरैया : केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से छात्रों का भविष्य बनाने वाले भुखमरी के कगार पर पहुंच ग
लोहरैया : केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से छात्रों का भविष्य बनाने वाले भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। निजी विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापकों की तो स्थिति काफी खराब है। कम पारिश्रमिक पर कार्य करने वाले यह शिक्षक अब भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। अभिभावकों द्वारा फीस न जमा कर पाने से विद्यालय प्रबंधतंत्र अध्यापकों को पारिश्रमिक देने में असमर्थता व्यक्त कर रहा है।
शिक्षकों ने कहा
विनोद यादव का कहना है कि पारिश्रमिक कम होने के कारण वैसे ही घर का खर्च चलाने में परेशानी हो रही थी। अब तो नोटबंदी के कारण विद्यालय प्रबंधतंत्र पारिश्रमिक देने से भी इन्कार कर रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो भूखों मरना पड़ेगा। शिक्षण कार्य करने वाले सर्वेश शुक्ला भी पारिश्रमिक न मिलने से आहत हैं। उन्होंने बताया कि घर की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। पारिश्रमिक न मिलने से मेरे बाबा जी की दवा नहीं आ पा रही है। सत्येन मिश्र ने बताया कि एक सप्ताह हो गए घर पर न तो सब्जी बनी और न ही दाल। बड़े लोग तो किसी प्रकार चटनी-रोटी खाकर जी रहे हैं परंतु घर में छोटे बच्चों का बुरा हाल है।