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सफेद सोने पर कारोबारियों की नजर

संतकबीर नगर : बालू के अवैध खनन को रोकने के सरकार के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इसे रोक पाने मे

By Edited By: Published: Mon, 26 Sep 2016 11:17 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2016 11:17 PM (IST)
सफेद सोने पर कारोबारियों की नजर

संतकबीर नगर : बालू के अवैध खनन को रोकने के सरकार के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इसे रोक पाने में जिम्मेदार विभाग पूरी तरह से नाकाम हैं। इसके कारण रोजाना सरकार को भारी राजस्व की क्षति सहनी पड रही है । बावजूद इसके सम्बन्धित की चुप्पी भी समझ से परे है। जबकि यही लोग बाढ़ के दिनों में सरकारी धन को पानी की तरह से बहाते हैं फिर भी जनता को कटान जैसी पीडा झेलने को बाध्य होना पडता है। इस काम को धंधेबाज हर रोज नई तकनीक का इस्तेमाल करके नदियों की गोद को सूनी कर सफेद सोना निकाल रहे हैं ।

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जानकारों की मानें तो बाढ और कटान जैसी आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। इसके बाद भी निरन्तर इस अवैध कारोबार की जडें तेजी से गहराई की ओर जा रही हैं। अब तक तो बालू के कारोबारी अपने ही यहां पर कारोबार चमका रहे थे,लेकिन अब इनकी सीमा बढ गई है और इनका कारोबार गैर जनपदों में भी फैलने लगा है। तंत्र की विफलता अथवा लापरवाही के चलते नदियों की गोद से निकलने वाले सफेद सोने (बालू ) को बेच करके इसके कारोबारी चांदी काट रहे हैं। जिले की दक्षिणी सीमा पर स्थित पौली के मैन्दी और चहोडा घाट कारोबारियों के लिए मुफीद बन गए हैं। इसके अलावा कुआनो के कई घाट भी इनको रास आने लगे हैं। नजदीक में पौली चौकी है,छोटे कारोबारियों के गिरेबान तक तो पुलिस पहुंचती है,लेकिन बहुतों से नजरें चुरा लिया जाता है या कोई और बात है जिससे पूरी तरह से अंकुश लगा पाना टेढ़ी खीर हो गई है । जिसके कारण बाढ़ के दिनों में तटवासियों की नींद हराम हो जाती है।

लाइसेंस पर होता है बालू का कारोबार

बालू की खदान पर प्रतिबंध है,लेकिन कुछेक क्षेत्रों में जहां पर इससे नुकसान की गुंजाइश नहीं बनती है,उन स्थानों के लिए बाकायदा लाइसेंस जारी किया जाता है। अब तक तो अवैध बालू के खनन में रम चुके कारोबारी पहले अपने जनपद तक ही सीमित थे । लेकिन अब यह सुदूर जनपदों तक अपने कारोबार की जडे फैला रहे हैं । पौली के तीन चार घाटों से काफी तेजी से खनन का कारोबार होता है । कारोबारी दिन डूबने के बाद से ही अगले दिन भोर होने तक कई चक्?कर लगाते हैं । जबकि इन घाटों से मजदूर बाकायदा बालू की खुदाई करते हैं। जिसको नाव में भरकर अम्बेडकर नगर समेत दक्षिण के कई जिलों को भेजा जाता है। नदी के पार हो जाने के बाद गाड़ियों में भरकर भेज दिया जाता है।


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